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कोतवाली के पास अतिक्रमणकारियों का बोलबाला, अधिकारी मूकदर्शक

नगर में अतिक्रमण की समस्या नगरवासियों के लिए नासूर बन चुकी हैं। कोतवाली के आसपास दुकानदारों ने सड़क पर सामान फैला रखा हैं। इसके चलते आए दिन जाम के हालत रहते है। लोगों का पैदल तक निकलना मुश्किल हो जाता हैं। इसके बावजूद पुलिस अधिकारी मूकदर्शक बने हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 06:49 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 06:49 PM (IST)
कोतवाली के पास अतिक्रमणकारियों का बोलबाला, अधिकारी मूकदर्शक
कोतवाली के पास अतिक्रमणकारियों का बोलबाला, अधिकारी मूकदर्शक

संवाद सहयोगी, पिलखुवा : नगर में अतिक्रमण की समस्या नगरवासियों के लिए नासूर बन चुकी है। कोतवाली के आसपास दुकानदारों ने सड़क पर सामान फैला रखा हैं। इसके चलते आए दिन जाम के हालत रहते हैं। लोगों का पैदल तक निकलना मुश्किल हो जाता है। इसके बावजूद पुलिस अधिकारी मूकदर्शक बने हैं।

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गांधी बाजार स्थित दुकानों में सामान अंदर कम और सड़क पर फैला अधिक नजर आएगा। इन्हीं दुकानों से चंद कदमों की दूरी पर नगर की कोतवाली भी स्थित है। जहां रोजाना फरियादी अपनी समस्याओं के निवारण के लिए पहुंचते है। लेकिन, कोतवाली के पास अतिक्रमण के कारण हालात ऐसे बने है कि मिनटों का रास्ता तय करने में घंटे लग जाते है। बाजार में स्थित गैस सिलेंडर, जूतें, खान-पान की कई दुकानें स्थित है। अधिकतर दुकानों के बाहर ठेली पटरी वाले भी खड़े रहते हैं। जिससे आने जाने वाले वाहन को सड़क पर जगह नहीं मिलती है और सड़क पर जाम लग जाता है। इन्हीं समस्याओं से निवारण के लिए लोगों ने कई बार अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

थाना प्रभारी निरीक्षक संजीव शुक्ला का कहना है कि अधिकारियों से बातचीत कर जल्द ही अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया जाएगा। शहरवासियों को जाम से निजाद दिलाने के लिए पुलिस कार्य कर रही हैं।

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कोतवाली के पास दुकानदारों द्वारा फैलाया गया अतिक्रमण लोगों के लिए परेशानी का सबब बना है। लेकिन पुलिस इसकी तरफ ध्यान नहीं दे रही है।

-- लटूर ¨सह पुलिस की अनदेखी के कारण गांधी बाजार में अतिकम्रण कार्यो का बोलबाला है। हालात है कि कई बार लोगों का पैदल तक निकलना मुश्किल हो जाता है।

-- डा. नेपाल ¨सह मोदीनगर बस स्टैंड आने जाने के लिए गांधी बाजार से आवागमन करना पड़ता है। कई बार पुलिस से बाजार को अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग की जा चुकी है।

-- एस त्रिवेदी


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