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घायलों को अस्पताल पहुंचाने वालीं एंबुलेंस आईसीयू में

जीवनदायिनी मानी जाने वाली आपातकालीन 10

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 06:53 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 06:53 PM (IST)
घायलों को अस्पताल पहुंचाने वालीं एंबुलेंस आईसीयू में
घायलों को अस्पताल पहुंचाने वालीं एंबुलेंस आईसीयू में

मुकुल मिश्रा, हापुड़ : जीवनदायिनी मानी जाने वाली आपातकालीन 108 एंबुलेंस सेवा जनपद में इस समय आईसीयू में है। छह खटारा एंबुलेंस पिछले काफी समय से रेंग रही हैं। नतीजा यह है कि अक्टूबर में कॉल प्राप्त होने के बाद 20 मिनट में रोगी तक पहुंचने वाली एंबुलेंस अब 25 मिनट का समय ले रही है। सभी एंबुलेंस की मंडल के जनपदों के मुकाबले हालत दयनीय है। इससे क्षेत्र के लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। एंबुलेंस वाहनों की गंभीर स्थिति को देखते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं अपर निदेशक(विद्युत) ने महाप्रबंधक को पत्र लिखा है।

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जनपद में सीएचसी और पीएचसी पर पिछले कई वर्षों से आपातकालीन 108 एंबुलेंस सेवा संचालित हैं। जो अब तक दो लाख से अधिक किलोमीटर चल चुकी हैं। कुछ एंबुलेंस का शीशा टूट गया है। सायरन कभी बजता है और कभी नहीं। आक्सीजन, डिलीवरी किट व दवाइयां तो हैं, लेकिन सेक्शन मशीन कभी भी खराब हो जाती हैं। जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं अपर निदेशक(विद्युत) डीके सिंह ने जीवीके/ईएमआरआई यूपी के महाप्रबंधक को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि जनपद में 108 ईएमटीएस सेवा के अंतर्गत छह एंबुलेंस वाहन संचालित हैं। जिनकी स्थिति मंडल में अन्य जनपदों की तुलना में बहुत दयनीय है। जनपद में माह अक्टूबर 2018 में कॉल मिलने के बाद रोगी तक पहुंचने में लगने वाला समय 20 मिनट था, जो माह नवंबर 2018 में बढ़कर 25 मिनट हो गया है। इससे स्पष्ट है कि आकस्मिकता की स्थिति में जिले की जनता को अन्य जनपदों की तुलना में समय से सेवाएं नहीं दी जा रही हैं। 108 एंबुलेंस सेवाओं में सुधार करने के लिए शासन ने चार जनवरी 2019 में एक शासनादेश जारी किया था। जिसकी अपेक्षा की जा रही है। उन्होंने एंबुलेंस सेवाओं की स्थिति में सुधार लाने की मांग की है।

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क्या कहते हैं अधिकारी

जनपद में 108 की छह एंबुलेंस हैं। जिनकी स्थिति काफी खराब है। देरी से पहुंचने पर कई बार रोगी शिकायत करते हैं। मौजूदा एंबुलेंस क्षमता के हिसाब से अधिक चल चुकी हैं। जिन्हें बदला जाना आवश्यक है।

डॉ. राकेश अनुरागी, नोडल अधिकारी ईएमटी


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