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खादर क्षेत्र के किसानों पर चौतरफा मार

खादर क्षेत्र के किसानों को चौतरफा मार झेलनी पड़ रही है क्योंकि मानसून का आगमन होने के बाद भी बारिश न होने से फसलों में बर्बादी हो रही है। वहीं पहाड़ों की बारिश से गंगा का जलस्तर बढऩे पर किनारे वाले जंगल की फसलों में नुकसान होने के साथ भू-कटान भी परेशान कर रहा है। मानसून का आगमन होने के बाद भी अपेक्षित स्तर पर बारिश नहीं हो रही है वहीं दूसरी ओर पहाड़ों पर झमाझम मानसूनी बारिश

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 10:06 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 06:08 AM (IST)
खादर क्षेत्र के किसानों पर चौतरफा मार
खादर क्षेत्र के किसानों पर चौतरफा मार

संवाद सहयोगी, ब्रजघाट:

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खादर क्षेत्र के किसानों को चौतरफा मार झेलनी पड़ रही है, क्योंकि मानसून का आगमन होने के बाद भी बारिश न होने से फसलों में बर्बादी हो रही है। वहीं, पहाड़ों की बारिश से गंगा का जलस्तर बढ़ने पर किनारे वाले जंगल की फसलों में नुकसान होने के साथ भू-कटान भी परेशान कर रहा है।

मानसून का आगमन होने के बाद भी अपेक्षित स्तर पर बारिश नहीं हो रही है, वहीं दूसरी ओर पहाड़ों पर झमाझम मानसूनी बारिश होने का क्रम चलने पर गंगा नदी के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। मानसून की बेरुखी और पहाड़ों पर झमाझम बारिश होने से खादर क्षेत्र के किसानों को चौतरफा मार झेलनी पड़ रही है, क्योंकि एक तरफ सिचाई के अभाव में फसल बर्बाद हो रही हैं, जबकि दूसरी ओर पहाड़ों की बारिश से जलस्तर में बढ़ोतरी होने पर गंगा किनारे वाले जंगल में उगी फसलों में पानी भरने से नुकसान हो रहा है।

वहीं, पानी का तेज बहाव, किनारे वाले जंगल से जुड़े खेतों में कटान कर बेशकीमती जमीन को गंगा की जलधारा में समा रहा है। पहाड़ों की बारिश से क्षेत्र से होकर बह रही गंगा नदी में उफान बढ़ता जा रहा है, जिससे किसानों में बेचैनी व्याप्त हो रही है। वैसे तो फिलहाल जलस्तर खतरे के निशान से काफी नीचे होने से बाढ़ आने का कोई खतरा नहीं है, परंतु किसानों को डर सता रहा है कि अगर पहाड़ों के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली एनसीआर में भी मानसूनी बारिश का क्रम प्रारंभ हो गया तो फिर गंगा नदी में बाढ़ आने से उनकी खेती पूरी तरह चौपट हो सकती है।

खादर क्षेत्र में करीब दो दर्जन गांव ऐसे हैं, जिन पर गंगा नदी की तलहटी में बसे होने से जलस्तर में होने वाली बढ़ोतरी और बाढ़ आने पर सर्वाधिक नुकसान होता है। वहीं, पहाड़ों की बारिश से बांधों में पानी की मात्रा बढ़ने पर बृहस्पतिवार को बिजनौर बैराज से 26393 क्यूसिक पानी छोड़ा गया है, जिसके आने से शुक्रवार को गंगा के जलस्तर में और बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है। बता दें, कि वर्ष 2013 में पहाड़ों में आई सुनामी से गंगा में ऐसी भीषण बाढ़ आई थी, जिसने 135 सालों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए खादर क्षेत्र के गांवों में जमकर तबाही मचा दी थी।

बाढ़ नियंत्रण आयोग के सूत्रों का कहना है कि पहाड़ों की बारिश से गढ़ गंगा का जलस्तर बढ़कर समुद्रतल से 197.63 मीटर के निशान पर पहुंच गया है, जबकि खतरे का निशान 199.33 मीटर पर है।

एसडीएम विजय वर्धन तोमर का कहना है कि बरसात के सीजन में गंगा जलस्तर का बढ़ना एक सामान्य प्रक्रिया है, परंतु फिर भी खादर क्षेत्र से जुड़े गांवों के लेखपालों के माध्यम से गंगा के जलस्तर में हो रही बढ़ोतरी की निगरानी कराने के साथ ही बाढ़ राहत चौकियों को चौकस रहने का निर्देश दिया हुआ है।


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