अब गन्ना मूल्य पर टिकी किसानों की निगाह
संवाद सहयोगी गढ़मुक्तेश्वर चीनी मिलों के संचालन पर से संकट के बादल छटने के बाद अब किसानो
संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर
चीनी मिलों के संचालन पर से संकट के बादल छटने के बाद अब किसानों की निगाह गन्ना मूल्य पर हैं। गन्ना मूल्य जल्दी ही घोषित होने के कयास लगाए जा रहे हैं। किसान गन्ने के दाम बढ़ने की उम्मीद लगा रहे हैं। किसान मान रहे हैं कि गन्ने के दाम 20 से 25 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाए जाएं।
गन्ना उत्तर प्रदेश के किसानों की प्रमुख फसल है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लाखों किसान गन्ने की खेती करते हैं। दो साल पहले प्रदेश सरकार ने गन्ने के दामों में दस रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया था। गन्ने के दामों में केवल 3.17 प्रतिशत की ही वृद्धि की गई थी। चीनी के दाम बढ़े होने के बाद भी किसानों को इससे अधिक वृद्धि की उम्मीद थी। चुनावी सीजन में गन्ने के मूल्यों में 25 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई थी। इस साल गन्ना भुगतान और चीनी मिल चलाने के लिए किसानों को धरना प्रदर्शन नहीं करने पड़े। एक क्विंटल गन्ने से होता है 700 रुपये से ज्यादा का माल तैयार
भाकियू के मंडल प्रवक्ता दिनेश खेड़ा के अनुसार एक क्विंटल गन्ने से करीब 13 किलो चीनी तक बनती है। इसके अलावा करीब 30 किलो खोई व साढ़े चार किलोग्राम शीरा बनता है। चीनी मिलें शीरे से एथनाल भी बनाती हैं। कुल मिलाकर एक क्विंटल गन्ने से 700 रुपये से भी ज्यादा का माल तैयार हो रहा है।
किसानों की झोली में कुछ भी नहीं आया
भाकियू भानू गुट के जिला अध्यक्ष पवन हुण ने कहा कि सरकार ने किसानों की झोली में कुछ भी नहीं दिया है। कम से कम 400 रुपये गन्ना मूल्य होना चाहिए था। फसल की लागत बहुत बढ़ गई है। भाजपा सरकार किसान के विरोध में काम कर रही है और किसान को खत्म करना चाहती है। भाजपा सरकार उद्योगपतियों की सरकार है। किसानों से सरकार का कोई मतलब नहीं है।