आखिर..किसकी सह पर चल रहा था मुर्दा मवेशी का अवैध धंधा
केशव त्यागी हापुड़ पिछले दस वर्षो से अधिक समय से गांव पटना के जंगल में मुर्दा मवेशी का धंध
केशव त्यागी, हापुड़ :
पिछले दस वर्षो से अधिक समय से गांव पटना के जंगल में मुर्दा मवेशी का धंधा संचालित हो रहा है। ग्रामीणों की मानें तो इस धंधे की आड़ में काफी समय से आरोपित गोकशी व पशु कटान करते आ रहे हैं। रविवार को मामले से पर्दा हटने पर पुलिस-प्रशासन के अधिकारी कटघरे में आकर खड़ा हो गए हैं। लेकिन, मामला बढ़ा और घटना स्थल पर पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे। इसके बाद हर कोई अपना पल्ला झाड़ते हुए दिखा। लेकिन, इससे पहले यही अधिकारी इस गलत काम से अपनी जेब गर्म कर रहे थे। हालांकि, पुलिस द्वारा नामजद आरोपित में वह लोग शामिल हैं, जो पिछले दस वर्षो से इस धंधे में लिप्त रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि आखिर किसकी सह पर अवैध कटान का धंधा दोबारा संचालित किया गया। ऐसे में पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत से धंधा संचालित होने की बात से भी कतई इन्कार भी नहीं किया जा सकता। राजदार बना मुर्दा मवेशी के धंधे में रहा साझेदार
- गोदाम में गोकशी होने के संबंध में एक वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया है। वीडियो मुर्दा मवेशी के धंधे में साझेदार रह चुके एक युवक ने बनाई है। यह वही युवक है, जिसे कुछ दिन पूर्व सिभावली पुलिस ने पशुओं को जहर देकर मारने के मामले में नामजद आरोपित बनाया था। इस प्रकरण के बाद युवक ने इस धंधे से दूरी बना ली थी। दो दिन पहले पीड़ित ने पुलिस से मामले की शिकायत की थी। लेकिन, पुलिस ने पीड़ित के साथ ही मारपीट कर दी थी। होटलों में परोसा जाता है मुर्दा मवेशी का मांस
मुर्दा मवेशी का मांस आरोपित होटलों व ढाबों में सप्लाई करते हैं। सप्लाई जनपद में ही नहीं बल्कि, आसपास के कई जनपदों में की जाती है। इसी मांस को होटल व ढाबों पर लोगों को खाने के लिए परोसा जाता है। इस धंधे से जुड़े लोग ग्रामीण क्षेत्रों में घूमकर पशुओं को जहरीला पदार्थ खिला देते हैं। जिससे उनकी मौत हो जाती है। कुछ दिन पहले सिभावली पुलिस ने मुर्दा मवेशी के धंधे के संचालक ओमवीर समेत 14 आरोपितों को इस मामले में जेल भेजा था। जिसके बाद कुछ समय के लिए यह काम बंद हो गया था। लेकिन, आरोपितों ने धंधा दोबारा शुरू कर दिया था। बर्फ में दबाकर रखा मिला मांस
- हंगामे के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने बर्फ में दबाकर रखा गया भारी मात्रा में मांस बरामद किया था। अब सवाल यह उठाता है कि अगर यह मांस मृत पशुओं का था तो उसे जमीन में दबाने के बजाए छिपाकर क्यों रखा गया। इससे साफ स्पष्ट होता है कि मृत पशुओं की आड़ में जीवित पशुओं का भी कटान किया जा रहा था। वहीं, मांस होटलों व ढाबों पर सप्लाई के लिए रखा गया था। खुंखार कुत्तों के आतंक से त्रस्त हैं ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि गोदाम संचालकों ने खुंखार कुत्ते पाले हुए हैं। जिनके डर से ग्रामीण गोदाम के आसपास तक नहीं भटक पाते हैं। कुत्ते गांव की महिलाओं, पुरुषों समेत कई बच्चों पर हमला कर उन्हें घायल कर चुके हैं। गोदाम के पास हिदू श्मशान घाट भी है। अंतिम संस्कार के लिए आने वाले ग्रामीणों पर कुत्ते हमला कर देते हैं। इतना ही नहीं मांस व पशु अवशेषों को कुत्ते श्मशान घाट तक पहुंचा देते हैं।