चुनावी मुद्दा नहीं बन सका यमुना से होने वाला कटान
चुनावी मुद्दा नहीं बन सकी यमुना से होने
राजीव त्रिवेदी, हमीरपुर : हर साल आने वाली बाढ़ नगर पालिका क्षेत्र के डेढ़ दर्जन मोहल्लों के लिए मुसीबत का सबब बन जाती है। यहां रहने वाले 20 हजार लोग पिछले कई वर्षो से यमुना कटान का दर्द झेल रहे हैं। इसके बावजूद ये समस्या कभी चुनावी मुद्दा बन सकी। बेशक नेताओं ने आश्वासन दिया, लेकिन कभी इस दिशा में काम नहीं हो सका। पिछले 12 वर्षो से नदी के किनारे एक अदद पिचिंग (पत्थर की दीवार) बनाने की मांग भी आज तक पूरी नहीं हो सकी। इस बार उपचुनाव के दौरान लोगों की उम्मीद थी कि नेता उनका दर्द समझेंगे लेकिन किसी ने भी इस समस्या पर ध्यान ही नहीं दिया।
शहर से सटे हुए मेरापुर, भिलांवा व रमेड़ी डांडा और इनके डेढ़ दर्जन मजरों सहित निकट की छह ग्राम पंचायतों को वर्ष 2017 में नगर पालिका में शामिल किया गया था। यहां की तकरीबन 20 हजार आबादी हर साल बाढ़ से जूझरी है। सबसे ज्यादा परेशानी का सबब यमुना का कटान बनता है। गरीबों के आशियाने ढह जाते हैं। इसके लिए क्षेत्रीय लोग पिछले 12 वर्ष में कई बार प्रदर्शन कर यमुना में पिचिग बनाओ आंदोलन चला चुके हैं।
हर बार मिलता है बस आश्वासन
पिचिंग बनाओ आंदोलन से जुड़े लोग बताते हैं कि 25 अगस्त 2013 को प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस के तत्कालीन केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन हमीरपुर आए थे। उन्होंने जल्द ही पिचिंग बनवाने का आश्वासन दिया था। इसके बाद चुनाव बहिष्कार के एलान के दौरान 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा नेता विशम्भर निषाद मेरापुर गांव पहुंचे और एक बार फिर आश्वासन दे गए। वर्ष 2018 में प्रदेश के डिप्टी सीएम ने भी कटान देखकर तटबंध बनवाने की बात कही थी, लेकिन कभी इस दिशा में काम नहीं हो सका।
दो सैकड़ा से अधिक परिवार हो चुके बेघर
यमुना की बाढ़ से अब तक दो सैकड़ों से अधिक परिवारों के सिर से छत छिन चुकी है। यहां रहने वाले लोग राहत शिविर या ऊंचे स्थानों पर बने मकानों में शरण लिए हैं। मेरापुर निवासी बरदानी के मुताबिक हर साल बाढ़ के दौरान इसी समस्या का सामना करना पड़ता है।
इन गांव के लिए भी बाढ़ मुसीबत
यमुना नदी के किनारे बसे मेरापुर, भिलांवा के अलावा डिग्गी, केसरिया का डेरा, चूरामन का डेरा, भोला का डेरा, जड़इली मड़इया सहित अन्य छोटे-छोटे मजरे बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे हैं।