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कन्या भ्रूणहंता को कन्या पूजन का अधिकार नहीं

संवाद सहयोगी, कुलपहाड़ (महोबा): जिस मां ने गर्भ में ही कन्या भ्रूण को समाप्त करने की सहमति

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Oct 2018 11:48 PM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 11:48 PM (IST)
कन्या भ्रूणहंता को कन्या पूजन का अधिकार नहीं
कन्या भ्रूणहंता को कन्या पूजन का अधिकार नहीं

संवाद सहयोगी, कुलपहाड़ (महोबा): जिस मां ने गर्भ में ही कन्या भ्रूण को समाप्त करने की सहमति दी हो उस दंपती को नवरात्र में कन्या पूजन का अधिकार नहीं है। यह बात देवी भागवत पुराण कथा वाचक नवलेश दीक्षित ने कही।

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कुलपहाड़ में नवरात्र के साथ शुरू हुई देवी भागवत का कथा प्रसंग बढ़ाते हुए चित्रकूट के कथावाचक नवलेश दीक्षित ने कहा कि देवी भागवत पुराण के अनुसार राम ने नौ निर्जला व्रत रहकर रावण पर विजय प्राप्त की थी। प्रभु श्रीराम जैसी कुमारी पूजा करते थे वैसी हम सब को करनी चाहिए। नवलेश के अनुसार मान्यता है कि दो वर्ष की आयु को कन्या माना गया है। तीन वर्ष को त्रिमूर्ति, चार को कल्याणी, पांच को रोहिणी, 6 वर्ष की कन्या को कालिका, 7 वर्ष को चन्द्रिका, 8 वर्ष को शाम्भवी 9 वर्ष को दुर्गा का स्वरूप हैं। नवरात्री में क्रमश: नवमी तिथि तक 45 कन्या का पूजन कर भोजन कराना चाहिये। उन्होंने कहा कि कन्या न होती तो कुछ भी न होता। न व्यवहार होता न सत्कार होता। शारदीय नवरात्रि में कन्या भोज आदि की कथा व चैत्र नवरात्री में ध्वजा नारियल की महिमा है। भोजन में पहली रोटी गाय की निकालकर गोसेवा करनी चाहिए। इससे गोलोक की प्राप्ति होती है। देवीभागवत के पांच श्लोकों के जप की सलाह दी। उन्होंने कहाकि शरीर पांच तत्वों क्षिति, जल, पावक, गगन व समीरा से बना है। साथ ही पांच प्राण की व्यख्या बताई। उन्होंने कहा कि दीपावली में जो लोग लक्ष्मी पूजा से पहले धनतेरस को कुबेर की पूजा करते है उनके यहां लक्ष्मी स्थिर रहती हैं। लक्ष्मी पूजा के पहले नारायण पूजा भी करना चाहिए।


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