तनाव से ऊबे सालट में फिर भाईचारे की दस्तक
चरखारी के सालट गांव में 31 अगस्त को उर्स
जागरण संवाददाता, महोबा :
चरखारी के सालट गांव में 31 अगस्त को उर्स में बनी बिरयानी से उपजे विवाद की गर्माहट अब धीरे-धीरे ठंडी होने लगी है। तनाव से ऊबे गांव में फिर भाईचारे की दस्तक सुनाई दे रही। उर्स आयोजक कल्लू हों या दूसरे पक्ष के बड़े-बुजुर्ग, सभी चाहते हैं कि सबकुछ भुलाकर हालात पहले जैसे हों। यहां ग्रामीण जल्द ही बैठक करके इस विवाद पर फैसला कर सकते हैं।
ग्राम प्रधान बृजगोपाल कुशवाहा अब खुलकर यह बात कह रहे हैं कि विधायक बृजभूषण राजपूत की चौपाल के बाद गांव के ही कुछ युवको ने उत्तेजना में आकर पुलिस को प्रार्थना पत्र लिखा, जिस पर लोगों ने हस्ताक्षर किए। अब गांव के लोग माहौल बिगड़ने पर अपने किए का पछतावा कर रहे हैं। अब प्रयास है कि दोनों पक्ष के लोगों के साथ बैठक कर सुलह करा जल्दी ही पुलिस को रिपोर्ट समाप्त करने का प्रार्थना पत्र दिया जाए। गांव में लगभग 400 परिवारों के बीच पांच छह मुस्लिम परिवार रहते हैं। कभी वैमनस्यता नहीं रही। सभी लोग शांति से एक साथ रह रहे हैं। विधायक के हस्तक्षेप के सवाल पर ग्राम प्रधान ने कहा कि न तो उन्होंने रिपोर्ट के लिए कहा था और न ही वह किसी का नाम जानते थे। गांव वालों ने खुद ही नाम लिखे।
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कल्लू भी बोले, धीरे-धीरे खत्म हो रही रिश्तों में खटास
गांव में अपने घर पर मिले कल्लू से मुलाकात हुई तो विवाद पर वह बोले, कुछ लोगों के गुमराह करने से पुराने भाईचारे के रिश्ते में खटास जरूर शुरू हुई लेकिन, अब वह धीरे धीरे खत्म हो रही है। वह बताते हैं कि शेख पीर बाबा की मजार पर हुए उर्स में भाईचारे के तहत 13 गांव के लोगों को बिना किसी भेदभाव के बुलाया और पूड़ी सब्जी का प्रसाद बनवाया। जिसे इच्छा थी, उसने बिरयानी भी ली। दो दिन बाद इसका विवाद कैसे खड़ा हुआ, वह समझ नहीं पा रहे हैं। मुकदमे के वादी राजकुमार खुद चादरपोशी में हिस्सेदारी करता है। मुकदमा दर्ज होने के बाद से अभी तक उनका राजकुमार से आमना सामना नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि वन विभाग ने मजार की दीवार को अवैध करार देकर इसे 14 सितंबर तक गिराने की नोटिस दी है। जिसे मजार गिरानी है गिराए, वह नहीं गिराएंगे। उन्होंने माना कि गांव में उपजी दुर्भावना अब धीरे धीरे समाप्त हो रही है, जल्दी ही माहौल शांत हो जाएगा।