स्वावलंबन का ककहरा सिखा रहीं कहकशा
अभिषेक द्विवेदी महोबा बेबसी बदहाली के लिए
अभिषेक द्विवेदी, महोबा : बेबसी, बदहाली के लिए सुर्खियों में रहने वाले जनपद की महिलाएं और युवतियां आत्मनिर्भर बन रही हैं। सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचान बना चुकी कहकशा जलाल उन्हें स्वालंबन का ककहरा सिखाने के साथ ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं। इसी का परिणाम है कि उनसे सिलाई-कढ़ाई और ब्यूटी पार्लर का प्रशिक्षण पाकर 80 महिलाएं खुद का व्यवसाय शुरू कर चुकी हैं।
लवकुशनगर तिराहे पर किराए के मकान में रहने वाली 35 वर्षीय कहकशा ने स्नातक तक पढ़ाई की है। परिवार की जरूरत पूरी करने के लिए वे छह साल पहले एक स्वयं सेवी संस्था से जुड़ी। गांव-गांव जाकर देखा तो बदहाली और बेबसी ने पीड़ा दी। मन में ठाना कि महिलाओं और युवतियों को आत्मनिर्भर बनाना है। चार साल पहले महिलाओं और युवतियों को सिलाई-कढ़ाई, मेहंदी, लिफाफे, बैग बनाने और ब्यूटी पार्लर का प्रशिक्षण देना शुरू किया। अब तक वह 300 महिलाओं को प्रशिक्षण दे चुकी हैं। इस सेवा कार्य के लिए उन्हें 2018 में एक निजी संस्थान ने और 2019 में दिल्ली की जामिया मिलिया सोसायटी की ओर से सम्मानित किया जा चुका है। करीब 80 महिलाओं ने शुरू किया काम
कहकशा से प्रशिक्षण पाकर आल्हा चौक निवासी किरण वर्मा, माधुरी ब्यूटी पार्लर खोल चुकी हैं। वहीं रानी यादव, किरन यादव, रजनी, बबली व खुशबू सिलाई का काम कर रही हैं। अब तक कुल 80 महिलाएं व्यवसाय शुरू कर चुकी हैं। इसके अलावा कुछ दूसरी जगह नौकरी कर परिवार का पेट पाल रही हैं। कारागार में निरुद्ध महिलाओं को दिया प्रशिक्षण
पिछले नवंबर माह से तीन माह तक कहकशा ने उप कारागार में निरुद्ध 12 महिलाओं को सिलाई, लिफाफे व बैग बनाने का प्रशिक्षण दिया। वर्तमान में वह अपने घर पर 40 महिलाओं को प्रशिक्षण दे रही हैं। किराए का कमरा लेकर सूट आदि सिलने का काम करती हूं। सात-आठ हजार रुपये आमदनी हो जाती है। इसी से किराया देती हूं और बाकी बची रकम से खाने-पीने का इंतजाम करती हूं।
- कहकशा जलाल