कभी उजाड़ था पार्क, अब चहुंओर हरियाली
अनुराग मिश्रा, हमीरपुर वीरान हो रहे लक्ष्मीबाई पार्क को न केवल हरा-भरा किया, बल्कि खुबसूरती
अनुराग मिश्रा, हमीरपुर
वीरान हो रहे लक्ष्मीबाई पार्क को न केवल हरा-भरा किया, बल्कि खुबसूरती बढ़ाने के लिए हर एक जरूरी काम कराए। पार्क को उजाड़ होने से बचा पर्यावरण प्रेमी रामबाबू ने मिसाल कायम कर दी। उन्होंने यहां पौधे लगा उन्हें अपने हाथों से सींच कर जीवन दिया। एक वर्ष के अथक प्रयास के बाद यह पौधे पार्क की सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं।
मुख्यालय में लगभग आधा दर्जन पार्क हैं, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी से सभी बदहाल हो गए। करीब एक दशक पूर्व सिटी फारेस्ट व वन विभाग के पार्क लोगों के मनोरंजन का केंद्र हुआ करते थे। जहां आसपास रहने वाले लोग अपने परिवार के साथ टहलने जाते थे। वहां बने हाथी, मेंढक, मगरमच्छ के स्टेच्यू बच्चों को खासा आकर्षित करते थे। मगर, अब वह उजाड़ नजर आते हैं, इसी का नतीजा है कि लोगों का आना भी बंद हो गया। कमोवेश यही हाल अन्य पार्को का भी है। नगर पालिका परिषद में बना आंबेडकर पार्क भी देखरेख के अभाव में केवल कार्यक्रम स्थल बनकर रह गया है। यही हाल मुख्यालय का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले लक्ष्मीबाई तिराहा का है। यह तो अच्छा हुआ कि समाजसेवी रामबाबू ने इसे उजड़ने से बचा लिया। हालांकि क्षेत्रफल में छोटे इस पार्क में टहलने की व्यवस्था नहीं है, पर नगर में आने वालों को यह खूबसूरती का अहसास कराता है। उन्होंने एक साल के प्रयास से इस पार्क को फिर से फूलों के पौधों से सजा दिया।
स्वयं करते सफाई, बाल्टी से पानी लाकर की सिंचाई
समाजसेवी रामबाबू ने बताया कि एक दिन पार्क के निकट से होकर गुजरे तो गंदगी को देख उनके मन में सफाई करने का विचार आया। दूसरे दिन ही वहां सफाई की और कुछ फूलों के पौधे लगा दिए। इसके बाद पार्क की सफाई और पौधों की देखभाल करना दिनचर्या में शामिल हो गया। गर्मी के मौसम में पौधों की ¨सचाई करना मुश्किल भरा काम था। मगर, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने पास में स्थित पेट्रोल पंप से बाल्टियों से पानी लाकर पौधों की ¨सचाई की। बाद में नलकूप से पाइप लाइन डालकर पौधों की ¨सचाई की व्यवस्था कर दी। उनके इस कार्य की सराहना सभी करते हैं।