लॉकडाउन में जरूरतमंदों की मदद करना ही लक्ष्य
- इलाज के साथ ही फोन पर देते है परामश
इलाज के साथ ही फोन पर देते है परामर्श
नाम - जितेंद्र शुक्ला
पद - चिकित्सक
कोरोना वायरस को लेकर सभी अपने फर्ज की अदायगी कर रहे हैं। चिकित्सक भी अपने कर्तव्य को बखूबी निभा रहे है। मुख्यालय निवासी डॉ. जितेंद्र शुक्ला सीएचसी कबरई में तैनात है। यहां प्रवासी मजदूरों की स्क्रीनिग के साथ ही वह अस्पताल आने वाले हर मरीज का बेहतर तरीके से इलाज कर रहे हैं। इतना ही नहीं ड्यूटी समय से इतर फोन आने पर वह लोगों का घर जाकर इलाज भी करते है। फोन पर लोगों को परामर्श के साथ ही व्हाट्सएप पर संबंधित दवाएं भी भेजते है। सभी को जागरूक करने का भी वह काम कर रहे है। --
घर में बने मास्क का कर रही वितरण
नाम - धर्मेश वर्मा
पद - छात्रा
एनएसएस की छात्राएं भी किसी योद्धा से कम नहीं है। शहर के वीरभूमि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की एनएसएस छात्रा धर्मेश वर्मा घर में सूती कपड़े के मास्क बनाकर लोगों में बांट रही है। 30 मार्च से उनका यह वितरण कार्य चल रहा है। अब तक 300 मास्क बांटने के साथ ही 100 के करीब सैनिटाइजर व साबुन भी वह बांट चुकी हैं। धर्मेश बताती है कि वह ट्यूशन पढ़ाती है और उससे जो मिले रुपये से ही मास्क तैयार कर वह लोगों में इसका वितरण करती है। एक मास्क तैयार करने में 10 रुपए खर्च आता है। --
तपती धूप में लोगों को कर रहे जागरूक
नाम - पुरुषोत्तम विश्वकर्मा
पद - चौकी इंचार्ज, सुभाष चौकी
कोविड-19 के इस संकट के समय पुलिस कर्मी अपने फर्ज को पूरी लगन से निभा रहे है। तपती धूप में लोगों को जागरूक करने का उनका काम लगातार जारी है। सुभाष चौकी इंचार्ज एसआई पुरुषोत्तम विश्वकर्मा भी कोरोना योद्धा की तरह पूरी तरह डटे हुए है। उनके द्वारा लोगों को लगातार लॉकडाउन के नियमों का पालन कराने के साथ ही शारीरिक दूरी बनाए रखने और मास्क पहनने के लिए जागरूक किया जा रहा है। ड्यूटी समय के अलावा भी वह हर आने जाने वाले को मास्क पहनने के लिए जागरूक कर रहे है और उनके द्वारा लोगों से अपने घरों में रहने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
--- इंसानों के साथ ही बेजुबानों की भी चिता
नाम - स्वप्निल गुप्ता
पद - जिला प्रचार प्रमुख
स्वयं सेवक भी इस कठिन घड़ी में पुनीत कार्य कर रहे है। वे इंसानों के साथ ही बेजुबानों की भी चिता कर रह हैं। स्वयं सेवक संघ के जिला प्रचार प्रमुख स्वप्निल गुप्ता भी ऐसा ही कार्य कर रहे है। वह बताते है कि सभी स्वयं सेवकों के सहयोग से पहले 2000 लोगों के लिए खाना तैयार होता था पर अब प्रवासी मजदूरों की संख्या को देखते हुए 5000 लोगों के खाने की प्रतिदिन व्यवस्था की जा रही है। रोजाना वह अपने साथियों के साथ चारा खरीदकर जहां भी अन्ना पशु दिखते हैं, उन्हें खिलाते हैं। प्रतिदिन 1000 रुपये का चारा वितरित किया जाता है।