मोरारी बापू ने कहा-पहले अपना दांपत्य जीवन सुधारें, राम जैसा पुत्र न हो तो फिर कहना Gorakhpur News
पहले पति-पत्नी एक-दूसरे के लिए साध्य थे अब साधन हो चुके हैं। इसीलिए सब गड़बड़ हो रहा है। आज भी राम और कृष्ण तुम्हारे घर आने को बेताब हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। आज पूरी दुनिया में दांपत्य जीवन बिगड़ा हुआ है। इसे सुधारने की जरूरत है। सुधरेगा तभी, जब पति, पत्नी को प्रेम करें और पत्नी, पति को आदर दे। यदि दांपत्य जीवन सुधर गया तो राम तुम्हारे घर अवतार लेंगे, जैसे दशरथ के घर उन्होंने अवतार लिया था। दशरथ का दांपत्य जीवन सुधरा हुआ था।
यह बातें प्रख्यात संत मोरारी बापू ने कही। वह चंपा देवी पार्क में गोरखनाथ मंदिर व श्रीराम कथा प्रेम यज्ञ समिति के तत्वावधान में ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की स्मृति में आयोजित श्री राम कथा 'मानस योगी कार्यक्रम में व्यासपीठ से श्रद्धालुओं को कथा सुना रहे थे।
पहले पति-पत्नी एक दूसरे के लिए साध्य थे
उन्होंने कहा कि पहले पति-पत्नी एक-दूसरे के लिए साध्य थे, अब साधन हो चुके हैं। इसीलिए सब गड़बड़ हो रहा है। आज भी राम और कृष्ण तुम्हारे घर आने को बेताब हैं। लेकिन इसके लिए दांपत्य जीवन दशरथ- कौशल्या और देवकी -वासुदेव जैसा होना चाहिए।
गुरु कभी नाराज नहीं होता
उन्होंने गुरु गोरखनाथ की चर्चा करते हुए कहा कि हीर से बिछडऩे के बाद रांझा व्याकुल हो भागता हुआ गोरखनाथ के पास पहुंचा था। संसार के जब सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं तो गुरु की याद आती है। रांझा ने बाबा को उसने कुछ बताया नहीं, बाबा ने उसे दीक्षा दी। उनकी दीक्षा के पांच पड़ाव हैं- पहले उन्होंने एक मुट्ठी भस्म और आसपास की थोड़ी मिट्टी लेकर उसे दी और कहा इसे शरीर पर मल लो। रांझा बहुत सुंदर था, ईश्वर की अनुपम कृति था। गोरखनाथ ने उसके रूप सौंदर्य का सम्मान करते हुए कहा कि आज से शरीर को चिता की भस्म समझना, यह जल चुकी है। दूसरा पड़ाव बताया भिक्षाटन से ही भोजन करना। इसी तरह क्रमश: गुरु का ध्यान, गुरु मंत्र का जप व अलख निरंजन की तरफ गति की शिक्षा दी। जब रांझा ने उन्हें बताया कि बाबा मैं हीर से बहुत प्यार करता हूं। यह सुनकर बाबा नाराज नहीं हुए, गुरु कभी नाराज नहीं होता। उन्होंने कहा कि मैं तुझे हीर से मिलवा दूंगा लेकिन यह मिलन ज्यादा देर नहीं चलेगा, शाश्वत मिलन की ओर तुझे चलना है। आ तुझे मैं प्रेम योग की दीक्षा देता हूं। गोरखनाथ ने रांझा को प्रेम योग की दीक्षा दी। मोरारी बापू ने शिव विवाह व राम जन्म की कथा सुना कर कथा को विश्राम दिया।