रहमत व बरकत का महीना है रमजान
जागरण संवाददाता, हमीरपुर : रमजान माह बरकत व रहमत का होता है। बारह महीनों में यह एक
जागरण संवाददाता, हमीरपुर : रमजान माह बरकत व रहमत का होता है। बारह महीनों में यह एक महीना मुस्लिम भाइयों के लिए इबादत का महीना होता है। इस माह रोजेदार पूरे माह रोजे रखकर अल्लाह को खुश करते हैं और गरीबों को दान देते हैं। जिसका 70 प्रतिशत लाभ इस माह मुस्लिम भाइयों को मिलता है। इस माह में दोजख के रास्ते बंद हो जाते हैं स्वर्ग के रास्ते खुलते हैं। इस रमजान माह को पूरे शिद्दत के साथ मुस्लिम भाई मनाते हैं।
मुस्लिम धर्म के अनुसार पांच चीजें इस धर्म के आवश्यक होती है। पहली कलमा, दूसरी नमाज, तीसरा रोजा, चौथा जकात व पांचवां हज। इन सारे नियमों का पालन करते हुए मुस्लिम भाई अपने धर्म को निभाते हैं। शहर काजी मोहम्मद शफकत अली कहते हैं कि रमजान माह सालभर का सबसे बड़ा महीना होता है। हर मुसलमान को इस माह रोजा रखना चाहिए। जो भी इस माह में गरीबों व कमजोर लोगों को दान करते हैं उसका 70 प्रतिशत लाभ उन्हें मिलता है। बड़े बुजुर्गो के साथ साथ छोटे छोटे बच्चे भी रोजा रखते हैं और अल्लाह से इबादत करते हैं। नमाज में अमन चैन की दुआ मांगते हैं। उन्होने बताया कि बीमार लोगों के लिए रोजा रखना अनिवार्य नहीं होता है। बीमार लोगों को छोड़कर जो रोजा नहीं रखता है उसे कफ्फारा देना पड़ता है। कफ्फारा में तीन हजार रुपये गरीब व जरूरतमंद को देना होता है। प्रत्येक मुस्लिम भाइयों के लिए रमजान माह के तीसों दिन रोजा रखना चाहिए।
तीन असरों में बीतता है माह
अब्दुल अजीज खां बताते हैं कि रमजान माह तीन असरों में बीत जाता है और बहुत कुछ दे जाता है। इस महीने दोजख के रास्ते बंद हो जाते हैं। तीन असरों में पहला असरा उन्होंने बताया रहमत जो दस दिनों तक चलता है। दस दिनों तक रहमत बरसती है। दूसरा मकफरत व तीसरा दोजख। मकफरत में स्वर्ग का रास्ता खुलता है और दोजख से नर्क का छुटकारा मिलता है। तीनों असरे दस दस दिनों के होते हैं। इन दिनों रोजेदार पूरे शिद्दत के साथ इस माह को मनाते हैं। बताया कि इस माह नफल व सुन्नत की नमाज फर्ज की नमाज के बराबर होती है।