बेतवा किनारे पंप कैनाल स्थापित होने की बढ़ी आस
पंप कैनाल स्थापित करने के लिए अधिकारियों ने बेतवा नदी का किया निरीक्षण
बेतवा किनारे पंप कैनाल स्थापित होने की बढ़ी आस
फोटो संख्या 26 एचएएम 19
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-अधिकारियों ने किया निरीक्षण, भेड़ी डांडा गांव में बनाया जाएगा
- पांच किमी लंबी नहर से पांच हजार बीघे खेतों की सिंचाई होने का अनुमान
संवाद सहयोगी, सरीला (हमीरपुर) : तहसील के भेड़ी डांडा गांव में बेतवा नदी से पंप कैनाल के स्थापित होने की आस बढ़ गई है। इसके लिए लघु डाल नहर के विभागीय अधिकारियों ने शनिवार देर शाम तक भेड़ी डांडा गांव में बेतवा नदी का निरीक्षण कर शासन को प्रस्ताव भेजा है।
भेड़ी डांडा गांव से निकली बेतवा नदी में पंप कैनाल स्थापित किए जाने की कवायद शुरू हो गई है। क्षेत्रीय विधायक मनीषा अनुरागी द्वारा क्षेत्र के किसानों की खेतों की सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए सिंचाई मंत्री और शासन को भेड़ी डांडा में पंप कैनाल बनाए जाने को लेकर पत्र लिखा था। जिसके बाद लघु डाल विभाग ने बेतवा नदी में दो सप्ताह पूर्व कंटूर सर्वे कराया था। जिसमे बेतवा नदी में उपलब्ध पानी में 20 क्यूसेक पंप कैनाल बनाने स्थित पाई गई। परियोजना में आगे की कार्रवाई अमल में लाए जाने को लेकर लघु डाल नहर खंड के अधीक्षण अभियंता हमीदुल्ला अंसारी, नलकूप मंडल बांदा ने विभागीय अधिकारियों के साथ भेड़ी डांडा गांव में बेतवा नदी का मौके का निरीक्षण किया है। साथ ही सर्वे कर लघु डाल नहर विभाग द्वारा परियोजना बनाने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि परियोजना स्वीकृति होने के उपरांत सर्किल रेट एवं सरकारी प्रावधानों के अनुसार इलाके की भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। लगभग पांच किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण कराया जाएगा। पंप कैनाल में 24 घंटे बिजली व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए एक बिजली विभाग द्वारा स्वतंत्र फीडर बनाया जाना है। जिसके लिए अधिसाशी अभियंता ने विद्युत उपखंड हमीरपुर को पत्र प्रेषित कर दिया है। साथ ही कैनाल बनाए जाने को लेकर रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी गई है।
इन गांवों को मिलेगा लाभ
भेड़ी डांडा में 20 क्यूसेक पानी की क्षमता वाला पंप कैनाल बनाने से भेड़ी डांडा, क्योटरा, कुपरा, हसउपुर गांवों के किसानों को सिंचाई के लिए 800 हेक्टेयर (पांच हजार बीघा) जमीन में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी। जलालपुर क्षेत्र में लघु डाल नहर विभाग द्वारा पंप कैनाल बनाए जाने की जानकारी के बाद क्षेत्रीय किसानों में खुशी है। अब तक इस क्षेत्र के किसान खेती के लिए सिर्फ मानसून पर निर्भर रहते थे।