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1971 जैसा सैन्य समर्पण कभी नहीं हुआ

1971 जैसा युद्ध कभी नहीं हुआ

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Dec 2019 11:29 PM (IST)Updated: Wed, 18 Dec 2019 06:06 AM (IST)
1971 जैसा सैन्य समर्पण कभी नहीं हुआ
1971 जैसा सैन्य समर्पण कभी नहीं हुआ

संवाद सहयोगी, भरुआ सुमेरपुर : युग चेतना महाविद्यालय में आरएसएस द्वारा आयोजित शौर्य दिवस व दंड प्रहार कार्यक्रम के समापन पर प्रांत कार्यवाह अरविद मेहरोत्रा ने कहा कि भारत माता के लिए संघ स्वयं सेवकों में साहस का निर्माण कर रहा है। साहस के प्रदर्शन के लिए ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

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कहा कि साहस से परिपूर्ण स्वयं सेवक विभिन्न आपदाओं में सेवा करने को तत्पर रहते हैं। उनका मन विचलित नहीं होता। भारत माता के हम पुत्र हैं। भारत माता की विश्व में जय जयकार हो। इसके लिए साहस का गुण सदा बना रहे। इसका प्रयास शाखा के माध्यम से 1925 से ही हो रहा है। उन्होंने कहा कि 16 दिसंबर 1971 जैसा सैन्य समर्पण कभी नहीं हुआ है। जब बांग्लादेश स्वतंत्र हुआ था और पाक के 93 हजार सैनिकों ने भारत के सामने आत्म समर्पण किया था। यह दिन भारत के स्वर्णिम पृष्ठों में अंकित है। भारतवासी, सैनिक इसे शौर्य दिवस के रुप में मनाते है। जबकि संघ दंड प्रहार यज्ञ के रूप में मनाता है। दंड प्रहार कार्यक्रम के साथ अखंड रामायण का भी समापन हो गया। इस अवसर पर क्षेत्र शारीरिक प्रमुख गजेंद्र सिंह जिला प्रचारक विकास, विभाग सह संघ चालक गोपालदास पालीवाल, जिला संघ चालक कमला प्रसाद, जिला कार्य वाह मातादीन त्रिपाठी, सह जिला कार्यवाह राजेश शुक्ला, जिला शारीरिक प्रमुख उमाशंकर, जिला सह शारीरिक प्रमुख भारत सिंह, कमलकांत, मनीष शुक्ला, खंड कार्यवाह ओमेश सिंह, मिथलेश द्विवेदी, सौरभ, दिनेश सिंह, कैलाश द्विवेदी सहित 500 से अधिक स्वयं सेवक उपस्थित रहे।


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