आयरन की गोलियों के पैकेट किए आग के हवाले
संवाद सहयोगी, मौदहा : कस्बे के रागौल स्थित बीआरसी में मासूम बच्चों को स्वस्थ रखने के मकसद से भ
संवाद सहयोगी, मौदहा : कस्बे के रागौल स्थित बीआरसी में मासूम बच्चों को स्वस्थ रखने के मकसद से भेजी गयी आयरन एंड फोलिक एसिड की गोलियां बड़ी तादाद में कमरे की सफाई करते समय आग के हवाले कर दी गयी। जिसकी सूचना पर अस्पताल के अधीक्षक व उपजिलाधिकारी ने मौके पर पहुंच जांच शुरू कर दी है। इस मामले में खंड शिक्षाधिकारी बाहर होने पर अनभिज्ञता जता रहे हैं। वहीं बीआरसी के निकट जिस स्कूल के कमरे में इनके रखने का स्टोर बनाया गया था। वहां का अध्यापक भी मामले में बच्चों की नादानी से उक्त गोलियों के पैकेट आग के हवाले करने की बात कर रहे हैं।
रागौल स्थित बीआरसी में विकास खंड क्षेत्र के प्राथमिक व जूनियर स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की छात्र संख्या के हिसाब से स्वास्थ्य विभाग से आयरन की गोलियां मंगाई जाती हैं। उक्त गोलियां प्रत्येक बच्चे को सप्ताह में एक दिन खिलानी चाहिये। जिससे उनके शरीर में खून की कमी न हो सके। औसतन वर्ष में एक बच्चे को 52 गोलियां खिलाने का मानक निर्धारित है। जिसके लिए बीते तीन माह पूर्व यहां आईरन की गोलियां स्वास्थ्य विभाग से मंगाई गयी थीं। इन गोलियों का बैच नम्बर आइएफजेटी 497 एवं निर्माण तिथि जनवरी 17 और एक्सपायरी तिथि दिसम्बर 2018 है। जिन्हें स्टोर की सफाई के समय अन्य रद्दी सामान के साथ आग के हवाले किया गया है। गोलियां की जलाये जाने की सूचना जैसे ही उपजिलाधिकारी राजेश चौरसिया को मिली तभी उन्होने अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अनिल सचान के साथ मौके पर पहुंच पड़ताल शुरू कर दी है। उपजिलाधिकारी ने अस्पताल पहुंच वहां से निर्गत की गयी इन गोलियों का अभिलेख भी देखा है। वहीं अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अनिल सचान का कहना है कि उनके यहां से शिक्षा विभाग की डिमांड के हिसाब से दवायें दी गयी थी। वितरित करना अथवा न करना ये शिक्षा विभाग की कमी है।
इस संबंध में मौके पर जांच करने गए उपजिलाधिकारी ने कहा की दवाओं को जलाना ¨नदनीय कार्य है। इसकी जांच पड़ताल की जा रही है। दोषी को बख्शा नहीं जायेगा। उन्होने यह भी कहा कि यह कार्य किसी शिक्षक का अकेले नहीं हो सकता इसकी पूरी जिम्मेदारी खंड शिक्षा अधिकारी की है। कहा कि इस पूरे मामले की जांच पड़ताल कर कार्यवाही के लिए जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेज दी जायेगी।