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बढ़ रहा तापमान, सूख रही धरती

जागरण संवाददाता, हमीरपुर : घटते वन, बढ़ती आबादी के चलते धरती का तापमान बढ़ रहा है औ

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Jun 2018 11:13 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jun 2018 11:13 PM (IST)
बढ़ रहा तापमान, सूख रही धरती
बढ़ रहा तापमान, सूख रही धरती

जागरण संवाददाता, हमीरपुर : घटते वन, बढ़ती आबादी के चलते धरती का तापमान बढ़ रहा है और धरती सूख रही है। इसके पीछे का कारण पराली व गोबर के उपलों के जलाने का रिवाज, धुआं उगलते लाखों की संख्या में वाहन के साथ फ्रिज व एसी से निकलने वाली गैस है। वातावरण में आक्सीजन की मौजूदगी को न केवल कम किया है, बल्कि सूर्य की हानिकारक किरणों से हमारी रक्षा करने वाली ओजोन परत को भी प्रभावित किया है। जिससे तापमान इस हद तक बढ़ गया है कि गर्म जमीन अब चटियल मैदानों में तब्दील होने लगी है।

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गर्मी के मौसम में 49 डिग्री तक तापमान पहुंचना हमारे सतही जल व भू-गर्भीय जल स्त्रोतों के नष्ट होने का सबब बनता जा रहा है। जिसे बचाने के लिए वन संपदा का बचाना व वन क्षेत्र विस्तार किया जाना जरूरी है। स्वस्थ जलवायु के लिए 33 प्रतिशत वनावरण होना जरूरी है। जबकि बुंदेलखंड को मात्र पांच प्रतिशत वनावरण शेष ही पर्यावरण संरक्षण को दर किनार कर किए जा रहे विकास ने जलवायु की दुर्गति कर दी। हवा में एरोसिल की अधिक मौजूदगी ने प्राणियों में रोगों से लड़ने की क्षमता को कम कर दिया है। कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, जैसी तमाम गैसों ने वातावरण को दूषित कर दिया है। एसी, फ्रिज व वाहनों से निकलने वाली गैसों के साथ गोबर के जलने से बनने वाली गैसों ने पृथ्वी के सुरक्षा कवच ओजोन पर्त को कमजोर कर दिया है। जिससे सूर्य से निकलने वाली पराबैगनी किरणों को रोकने की क्षमता पर प्रभाव पड़ा है। जिससे लगातार तापमान में बढ़ोतरी हो रही है।

समाधान

जल संचयन को लें इजराइल से प्रेरणा

वृक्ष न केवल आक्सीजन उत्पादन के स्त्रोत हैं बल्कि भूमि में नमी व भू-गर्भीय जलस्तर को बढ़ाने में भी सहायक थे, जो अब क्षेत्रफल के अनुसार मात्र पांच प्रतिशत ही शेष हैं। इन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है। साथ ही नए पौध लगाकर वृक्ष तैयार करने की आवश्यकता है। वर्षा जल संचयन के लिए इजराइल के नमूने को अपनाया जाना बेहतर होगा। वहीं भौतिक वस्तुओं का सीमित प्रयोग कर पर्यावरण को बचाया जा सकता है।

जलीस खान, पर्यावरणविद

सुझाव

तापमान नियंत्रित करने में सहायक वृक्ष

जहां वन होंगे वहीं का तापमान दो से तीन डिग्री कम होता है। तापमान कम होगा तो वाष्पीकरण कम होगा, भूमि में नमी और नरमी होगी, उत्पादन भी बेहतर होगा। इसी कारण बागबानी के साथ खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। ताकि वन विकास हो और स्वस्थ जलवायु हो जीवों और वनों के मध्य समन्वय व पर्यावरणीय संतुलन बना रहे। तापमान में कमी लाने के लिए जन सहयोग व भागीदारी आवश्यक है। पृथ्वी में मौजूद जल जंगल, जमीन को आने वाली नस्लों के लिए सुरक्षित बनाये रखने में मदद मिलेगी।

मोहम्मद मुस्तफा, वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, कुरारा


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