दो लाख की आबादी के सामने पेयजल संकट
संवाद सहयोगी कुलपहाड़ (महोबा) अफसरों का वादा था कि करीब 23 गांव व जुड़े मजरों में पानी की व्यवस्था सही हो सकेगी। इसके लिए शासन ने नया नलकूप लगाने का इंतजाम भी किया। इस योजना पर कुछ काम भी हुआ लेकिन जनता को लाभ नहीं मिल सका। नलों में पानी न आने से कुआं और हैंडपंप पर तड़के से लोग लाइन में लग जाते हैं। कुलपहाड़ सहित 23 गांवों को पानी का एक मात्र सहारा बेलाताल में स्थापित नलकूप ही है। इसमें भी एक ही वर्तमान में संचालित है। दूसरा छह साल से आधा अधूरा पड़ा है। ऐसे में लापरवाही के चलते लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है और दो लाख की आबादी के सामने पेयजल संकट के बादल छा गए हैं।
संवाद सहयोगी, कुलपहाड़ (महोबा): अफसरों का वादा था कि करीब 23 गांव व जुड़े मजरों में पानी की व्यवस्था सही हो सकेगी। इसके लिए शासन ने नया नलकूप लगाने का इंतजाम भी किया। इस योजना पर कुछ काम भी हुआ, लेकिन जनता को लाभ नहीं मिल सका। नलों में पानी न आने से कुआं और हैंडपंप पर तड़के से लोग लाइन में लग जाते हैं। कुलपहाड़ सहित 23 गांवों को पानी का एक मात्र सहारा बेलाताल में स्थापित नलकूप ही है। इसमें भी एक ही वर्तमान में संचालित है। दूसरा छह साल से आधा अधूरा पड़ा है। ऐसे में लापरवाही के चलते लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है और दो लाख की आबादी के सामने पेयजल संकट के बादल छा गए हैं। लोगों में नाराजगी बढ़ी
दुलारा गांव के राजेश, श्याम बिहारी, बैजनाथ का कहना है कि गांव में पानी न आने से हम लोग अब भूल चुके हैं कि घरों में नल भी लगे हैं। कुआं से पानी लाने की फिर से आदत बन चुकी है। छितरवारा गांव के रामसनेही, प्यारेलाल, अशोक का कहना है कि माह में शायद ही कभी पानी आता हो, सप्लाई न आने के बाद भी हम लोगों को बिल बराबर चुकाना पड़ रहा है। आमानपुरा के चैनशुख, काशीप्रसाद, दिनेश, प्रीतम कहते हैं कि यदि नलकूप संचालन नहीं हुआ तो हम लोग आंदोलन करेंगे। क्योंकि सुबह होते ही पानी के लिए उन्हें हैंडपंप व कुओं के पास लाइन लगानी पड़ती है। हमारे पास बजट की कमी है, यही कारण है कि जो केबल आदि का काम कराना है वह हो नहीं पा रहा है। प्रयास कर रहे हैं कि आठ-दस दिन में बिजली सप्लाई की व्यवस्था सही करा दें और घरों में पानी उपलब्ध हो सके।
विवेकशील गौतम, जल निगम के मैकेनिकल एक्सइएन, महोबा।