विदेशी धरती पर भी नहीं भूले अपने तीज-त्योहार
दीपक अवस्थी कुरारा (हमीरपुर) बुंदेलखंड में कहावत है कि कोस-कोस में बदले पानी
दीपक अवस्थी, कुरारा (हमीरपुर)
बुंदेलखंड में कहावत है कि कोस-कोस में बदले पानी चार कोस में बानी। लेकिन इसे झूठा साबित कर दिया जिले के कुरारा क्षेत्र के पारा गांव निवासी अभिषेक श्रीवास्तव ने। जो देश से भले ही हजारों किमी दूर इंग्लैंड में हैं। इससे उनका पानी तो बदला है लेकिन बानी (वाणी) नहीं।
इंग्लैंड में रह रहे डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव 2009 में यहां से गए थे। 11 वर्ष से वहां रहते हुए भले ही उनका पानी बदला है लेकिन वाणी अर्थात बातचीत में उनके कोई परिवर्तन नहीं है। वह आज भी अपने स्वजन, मित्रों से हिदी भाषा में ही बात करते हैं। इससे लोगों को आज भी उनमें अपनापन दिखाई देता है। एक दवा कंपनी में काम कर रहे अभिषेक की पत्नी दीपिका बीते दिनों कोरोना वैक्सीन की खोज में जुटी टीम के साथ रही। इसमें 45 सदस्य शामिल रहे। बाद में वह उससे अलग हो गईं। अभिषेक के मित्रों के अनुसार उनके व्यवहार में आज भी कोई परिवर्तन नहीं है। दोस्तों ने बताया कि जहां वह आज भी उनसे अपनी मातृ भाषा में उनसे बात करते हैं। वहीं विदेशी धरती में रहने के बाद भी वह अपने पर्व मनाना नहीं भूलते। बताया कि वह अपने तीज त्योहार बड़े उत्साह से मनाते हैं। इतना ही नहीं गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौकों पर वह अपने आवास व कार्यालय में ध्वजारोहण करना नहीं भूलते। साथ ही हिदी भाषियों के साथ हिदी दिवस जैसे कार्यक्रमों का भी आयोजन कराते हैं। साथ ही गांव में अपनों से जुड़ाव भी बनाए हैं। अभिषेक अयोध्या कांड के गवाह रहे तत्कालीन फैजाबाद डीएम रामशरण श्रीवास्तव के भतीजे हैं। अभिषेक के पिता कृष्ण शरण श्रीवास्तव ने खेती किसानी करने के बाद भी बेटे में देश की संस्कृति व संस्कारों को भरा। यही कारण है कि वर्ष 2006 में पीएचडी को इंग्लैंड गए अभिषेक वर्ष 2009 में वहीं के होकर रह गए। लेकिन आज भी वह अपनी संस्कृति व संस्कारों के प्रति गंभीर हैं।