यूपी के इस जिले में सिर्फ कागजों में दिख रहा खाद का स्टॉक, डीएपी पाने को दर-दर भटक रहे किसान
उत्तर प्रदेश के एक जिले में किसान खाद की कमी से परेशान हैं। कागजों में खाद का स्टॉक होने के बावजूद, किसानों को डीएपी खाद के लिए भटकना पड़ रहा है। इससे बुवाई में देरी हो रही है और फसल की पैदावार प्रभावित होने की आशंका है। किसान खाद की उपलब्धता को लेकर चिंतित हैं।
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जागरण संवाददाता, हमीरपुर। कुदरत के कहर से बेहाल किसानों को अब डीएपी की मार झेलनी पड़ रही है। जिले के अधिकांश केंद्रों से डीएपी गायब है, तथा किसानों को एनपीके थमाई जा रही है। वहीं जिम्मेदार अधिकारी सभी केंद्रों में पर्याप्त खाद होने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं तथा सही जानकारी देने से भी कतरा रहे हैं। समितियों के कागजों में सिर्फ खाद का स्टाक दिखाया जा रहा है और हकीकत में किसान डीएपी पाने के लिए दर दर भटक रहा है।
जनपद में कुल 54 सरकारी खाद बिक्री केंद्र हैं, लेकिन अधिकांश केंद्रों में डीएपी नहीं है। जबकि कृषि विभाग के अनुसार जिले के सभी केंद्रों में डीएपी की पर्याप्त मात्रा होने की दावा किया जा रहा है। बीते दिनों हुई बारिश के बाद मौसम साफ होने से अब किसान तेजी से रबी की फसल बुआई में जुट गए हैं।
इसके लिए उन्हें बुआई में डीएपी की आवश्यकता पड़ रही है, लेकिन केंद्रों में डीएपी ही नहीं है। इसकी हकीकत जानने के लिए दैनिक जागरण की टीम ने किसानों से बातचीत की तो सच में खाद की स्थिति समझ आई। जिसपर कुछ केंद्रों में जाकर भी जानकारी ली गई तो पता चला वहां एक भी बोरी डीएपी की नहीं है।
टीम द्वारा सुमेरपुर स्थित केंद्रों में खाद की स्थिति की जानकारी ली गई, जहां क्रय विक्रय सहकारी समिति व किसान सेवा केंद्र से डीएपी गायब मिली वहीं क्षेत्रीय सहकारी समिति में मात्र 150 बोरी डीएपी उपलब्ध थी। मौदहा के पीसीएफ केंद्र में 860 बोरी डीएपी मिली, लेकिन क्रय-विक्रय समिति व सहकारिता केंद्र से डीएपी गायब थी।
वहीं बिंबार पैक्स व भुजपुर रूरीपारा सहकारी समिति से भी डीएपी नदारद मिली। इसी प्रकार सरीला के ग्रामीण क्षेत्रों के केंद्रों में डीएपी नदारद रही जबकि कस्बा में 03 टन डीएपी होने की बात कही गई। वहीं इस संबंध में जब कृषि अधिकारी डा.हरिशंकर से केंद्रवार खाद की उपलब्धता जानी गई तो वह आनाकानी करते दिखे और बताते हैं कहकर फोन काट दिया और फिर कोई जवाब नहीं आया। एआर कोआपरेटिव रमाकांत द्विवेदी से भी बात करने पर रटा रटाया जवाब मिला खाद पर्याप्त है।
निजी व बलकट समेत करीब दो सौ बीघे खेत हैं। सहकारी समिति में डीएपी आने पर बमुश्किल दो बोरी खाद दी जाती है जो ऊंट के मुंह में जीरा के समान होती है। केंद्रों से पर्याप्त खाद नहीं मिल पाती है, इसलिए मजबूरन प्राइवेट केंद्रों से ही महंगे दामों में खाद खरीद कर खेतों की बुआई कर रहे हैं।
- किसान, सुदीप पालीवाल, बांधुर खुर्द।
दो बोरी डीएपी के लिए कई दिनों से केंद्रों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन समिति में खाद नहीं होने की बात कहकर लौटा दिया जाता है। जिससे बुआई के लिए देरी हो रही है।
- किसान राजकुमार द्विवेदी, सुमेरपुर।

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