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आठवीं तक पढ़ीं रानी आधुनिक पद्धति से खेती कर परिवार में लाईं खुशहाली, पहली फसल में उतार दिया कर्ज

नई तकनीक के जरिए परंपरा से कहीं अधिक पैदावार लेकर रानी ने दो वर्ष में ही समृद्धि की राह पकड़ ली। दूरदराज से लोग उनकी खेती देखने आते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 22 Jun 2019 10:15 AM (IST)Updated: Sat, 22 Jun 2019 10:15 AM (IST)
आठवीं तक पढ़ीं रानी आधुनिक पद्धति से खेती कर परिवार में लाईं खुशहाली, पहली फसल में उतार दिया कर्ज
आठवीं तक पढ़ीं रानी आधुनिक पद्धति से खेती कर परिवार में लाईं खुशहाली, पहली फसल में उतार दिया कर्ज

राजीव त्रिवेदी, हमीरपुर। जिंदगी हौसले और हिम्मत से चलती है। कर्ज का बोझ और पास में एक इंच भी जमीन नहीं। अति विषम परिस्थितियों में भी जिंदगी को खुशहाली की राह पर लाने की जद्दोजहद बुंदेलखंड के उन किसानों के लिए मिसाल है, जो मुश्किलों के सामने अपना हौसला खो देते हैं।

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यह जद्दोजहद है रानी की। रानी देवी.. जो जमीन से तो रंक हैं, लेकिन हौसले और हिम्मत में किसी मलिका से कम नहीं। पति शिवलाल पढ़े-लिखे नहीं हैं। खेती के लिए जमीन नहीं। ऐसे में मजदूरी ही रास्ता था, जिससे घर का गुजारा हो। बच्चे इतना भर पढ़ पाए कि किसी तरह दो जून की रोजी-रोटी कमा सकें। कभी दिन खाली पेट गुजरा तो कभी रात फाके में कटी। भुखमरी की नौबत आ गई तो रहा नहीं गया और 45 वर्षीय रानी ने घूंघट हटाने का फैसला किया। वह खेती करने उतरीं तो लोगों ने उपहास किया, लेकिन यह कर्ज के दर्द से बड़ा नहीं था। आठवीं बाद कभी भी किताब न छूने वाली रानी ने किसानी समझने के लिए समर्थ संस्था से संपर्क किया। संस्था ने उन्हें कृषि वैज्ञानिकों से मिलवाया और यहीं से राह खुली।

बटाई की जमीन पर खड़ा किया खुशियों का मचान

रानी देवी का गांव खरौंज बेहद पिछड़ा हुआ है। 15 साल पहले खड़े हुए खंभे आज भी बिजली का इंतजार कर रहे हैं। कुछ खरीदने के लिए पांच किमी दूर कुरारा कस्बे या 23 किमी दूर हमीरपुर मुख्यालय जाना पड़ता है। ऐसे में खेती आसान नहीं थी, लेकिन रानी हार नहीं मान सकती थीं। वह जहां से चली थीं, पीछे हटने का सवाल ही नहीं था। मिन्नतें कर बलकट यानी बटाई पर तीन बीघा खेत लिया। छोटे-छोटे टुकड़े पर मचान विधि से खेती शुरू की। एक साथ कद्दू, लौकी और गोभी कम लागत में उगाई। मुनाफा मिला और कर्ज उतर गया। इसी वर्ष उन्होंने एक ही खेत में पांच फसलें कद्दू, लौकी, गाजर, गोभी और मिर्च ली है। रानी अब आसपास के गांवों के लिए मिसाल हैं। कृषि विभाग ने उन्हें प्रगतिशील किसान से सम्मानित किया है।

भूमिहीन होने के बावजूद नई पद्धति, मेहनत और लगन से खेती कर रानी परिवार में खुशहाली ले आईं। आस-पड़ोस के लोग उनसे प्रेरित होकर मचान विधि से खेती कर रहे हैं।

मीना खातून, खरौंज (ग्रामीण)

नई तकनीक के जरिए परंपरा से कहीं अधिक पैदावार लेकर रानी ने दो वर्ष में ही समृद्धि की राह पकड़ ली। दूरदराज से लोग उनकी खेती देखने आते हैं। कृषि विभाग ने उन्हें सम्मानित किया।

बशीर मोहम्मद, ग्राम प्रधान खरौंज

हमने केवल राह दिखाई। लगन और मेहनत ने रानी को दूसरे किसानों की प्रेरणा बनाया। संस्था ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करती है, जिनमें कुछ करने की लगन होती है।

देवेंद्र गांधी, समर्थ फाउंडेशन के सचिव

भूमिहीन महिला को प्रगतिशील किसान का सम्मान मिलना गौरव की बात है। मचान विधि से कम लागत में अधिक पैदावार लेकर साबित किया कि मेहनत से सब संभव है।

सरस कुमार, जिला कृषि अधिकारी

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