उत्सुकता व आकर्षण का केंद्र कल्पवृक्ष स्थल को विकास की दरकार
आकर्षण का केंद्रआकर्षण का केंद्र कल्पवृक्ष स्थल को विकास की दरकार
अनुराग मिश्रा, हमीरपुर :
मुख्यालय में गायत्री मंदिर व उद्योग केंद्र के बीच यमुना नदी को जाने वाले रास्ते में यमुना किनारे स्थित हजारों वर्ष पुराना दुर्लभ कल्पवृक्ष वर्षो से लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आस्थावान लोग पूजन अर्चन के अलावा इस वृक्ष को उत्सुकता वश देखने के लिए यहां पहुंचते है। इसे पर्यटन की ²ष्टि से बढ़ावा देने को विकास की दरकार है। छह माह तक पत्ती विहीन रहने वाला यह वृक्ष छह माह हराभरा रहता है। अगस्त माह में इसमें सफेद फूल खिलता है। इस पेड़ की विशेषता यह है कि वृद्धि चौड़ाई में अधिक होती है जबकि ऊंचाई कम बढ़ती है। इस पेड़ की उम्र अब तक कोई सही से नहीं बता सका है। इसे बनस्पति विज्ञान में विभिन्न नामों से जाना जाता है। 1998 रखरखाव की शुरू हुई पहल
औषधीय गुणों से भरपूर कल्पवृक्ष को 1998 में तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी केके सिंह ने इसके गुणों से सभी को परिचय कराया था। उन्होंने इसकी उम्र का पता लगाने के लिए आईसीएफआरई देहरादून व इसकी प्रजाति बढ़ाने के लिए सिल्वा साउथ कानपुर, देहरादून के वन अनुसंधान को भी पत्र लिखा था। लेकिन उनके जाते ही सब शायद फाइलों में दब गया। पूर्व जिलाधिकारी संजय भाटिया व सीडीओ आरएस गहरवार ने इस वृक्ष को बचाने के लिए मौदहा बांध को पत्र लिखा और उनकी पहल सार्थक सिद्ध हुई। तटबंध बनने से यमुना के गर्त में समाने से कल्पवृक्ष बच गया। इसके बाद जिलाधिकारी श्रीनिवास ने इसे पर्यटन स्थल बनाने के उद्देश्य से पार्क सहित नौका बिहार आदि के कार्य शुरू कराए थे। लेकिन उनके जाते ही सभी कार्य ठप हो गए और नौका बिहार के लिए आई नाव किनारे पड़े पड़े सड़ कर बर्बाद हो गई।
अराजक तत्वों का बना अड्डा
मौजूदा में प्रशासन की उदसीनता के चलते यहां अराजक तत्वों का अड्डा बना है। जिससे यहां पहुंचने वाले महिला पुरुषों को कुछ अटपटा महसूस होता है। लोगों ने यहां सुबह शाम पुलिस गश्त लगवाने की मांग की है।
गुणों से भरपूर कल्पवृक्ष
पर्यावरणविद जलीस खान का कहना है कि कल्पवृक्ष आयुर्वेदिक ²ष्टि से एक दुर्लभ वृक्ष है। हर हिस्सा का दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। उल्टी दस्त, डिसेंट्री, अत्यधिक पसीना आना आदि में लाभकारी है।