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सेना भर्ती में सेंध की जांच के लिए सीबीआइ का डेरा

वास प्रमाण पत्रों की जांच को सीबीआइ ने जमाया डेर

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2020 11:12 PM (IST)Updated: Thu, 19 Mar 2020 06:02 AM (IST)
सेना भर्ती में सेंध की जांच के लिए सीबीआइ का डेरा
सेना भर्ती में सेंध की जांच के लिए सीबीआइ का डेरा

जागरण संवाददाता, हमीरपुर : फर्जी निवास प्रमाणपत्रों के सहारे सेना भर्ती में सेंध लगाने वाले गिरोह की जड़ तक जाने के लिए सीबीआइ ने जांच तेज कर दी है। बुधवार को सीबीआइ की तीन सदस्यीय टीम मौदहा बांध के गेस्ट हाउस पहुंची। अधिकारी 20 मार्च तक यहां रुक कर एसडीएम कार्यालय के स्टाफ, संबंधित ग्राम प्रधान व निकाय सदस्यों से पूछताछ करेंगे। पहले दिन निवास प्रमाणपत्र जारी करने वाले लिपिक व अन्य कर्मचारियों से पूछताछ की।

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यह था पूरा मामला

तीन से 16 अगस्त 2016 के बीच कानपुर कैंट में औरैया, बाराबंकी, कन्नौज, गोंडा, हमीरपुर व फतेहपुर के युवकों की सेना भर्ती रैली हुई थी। इन जिलों के युवक ही शामिल होने के पात्र थे लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश व हरियाणा निवासी 34 अभ्यर्थी जिले के पतों पर फर्जी निवास प्रमाणपत्र बनवा कर भर्ती हो गए थे। अभिलेख सत्यापन में यह मामला खुला। सीबीआइ की प्रारंभिक जांच में कई अधिकारियों की संलिप्तता पाई गई। सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन विंग ने 40 नामजद व अन्य अज्ञात लोगों पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था।

कुरारा पुलिस ने किया था राजफाश

नौकरी मिलने के बाद युवकों के निवास प्रमाणपत्र के आधार पर अभिलेखों की जांच संबंधित थानों में पहुंची। कुरारा थाने पहुंची अभिलेखों की जांच में एक युवक की शिक्षा अलीगढ़ और निवास थाना क्षेत्र में होने पर तत्कालीन थाना प्रभारी एके सिंह को शंका हुई। उन्होंने जांच कराई तो प्रमाण पत्र झूठे मिले। उन्होंने एलआइयू को जानकारी दी। एलआइयू की जांच में ग्राम प्रधानों ने हस्ताक्षर व मुहर फर्जी बताए। एलआइयू ने एसटीएफ को रिपोर्ट भेज कर सभी थाना प्रभारियों को अलर्ट किया। एसटीएफ ने दो दिन तक जिले के कुरारा, सुमेरपुर, मौदहा, ललपुरा, राठ आदि क्षेत्रों में कई लोगों से पूछताछ की। बाद में मामला सीबीआइ के सिपुर्द कर दिया गया।

ये हैं आरोपित

सेना के हवलदार गिरीश, मेरठ निवासी दलाल प्रवीन तोमर, आगरा निवासी दलाल योगेंद्र कुमार, अभ्यर्थी खुर्जा निवासी विष्णु, अलीगढ़ निवासी राजू तोमर, लाला बीडीसी, देवेंद्र कुमार, भूपेंद्र सिंह, पुष्पेंद्र सिंह, राहुल कुमार, देवेंद्र कुमार, दीपक तोमर, बुलंदशहर निवासी राहुल कुमार, कोशिदर सिंह, रोहित कुमार, वीर सिंह, शैलेंद्र कुमार, संदीप कुमार, पंकज चौहान, ललित कुमार, सुबोध शर्मा, सोहित कुमार, मथुरा निवासी जितेंद्र चौधरी, राजेश सिंह, सौरभ, रवि, श्याम पोसवाल, देव प्रकाश, राजेश, बागपत निवासी विकास तोमर, गौतमबुद्धनगर निवासी तेजवीर सिंह, हाथरस निवासी राहुल चौधरी, हरेंद्र सिंह, रायबरेली निवासी विनीत के अलावा रिकू कुमार, दिनेश कुमार, पवन कुमार, सोनू कुमार, बिकेश, नीरज कुमार, अज्ञात दलाल व हमीरपुर के एसडीएम और तहसीलदार कार्यालय के अज्ञात अधिकारी-कर्मचारी।

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इनसे हुई पूछताछ

सीबीआइ टीम ने एसडीएम कार्यालय के नाजिर गोविद शर्मा, बृजकिशोर प्रजापति समेत संबंधित ग्राम प्रधानों व लेखपालों से पूछताछ की।

लिपिक ने बताया-बदल गई रिपोर्ट

तहसील के लिपिक ने पूछताछ में बताया कि हमीरपुर के नाम पर किसी ने बाहर से ही फर्जी निवास प्रमाणपत्र बनाए थे। इनका राजस्व परिषद की वेबसाइट में अपलोड होना बड़ी बात है। कोई बड़ा गिरोह सक्रिय है। जो यहां से भेजी गई रिपोर्ट को बीच में ही बदलवा लेता रहा है। एक प्रकरण में तहसील से प्रमाणपत्र फर्जी होने की सूचना गई थी लेकिन वहां पहुंची रिपोर्ट में सही बताया गया था।


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