Move to Jagran APP

गोशालाओं में बंद मवेशियों को 15 घंटे नहीं मिलता पानी

संवाद सहयोगी राठ गोशालाओं में बंद मवेशियों की स्थिति का जायजा लेने के लिए पशुपालन विभा

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 11:42 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 05:08 AM (IST)
गोशालाओं में बंद मवेशियों को 15 घंटे नहीं मिलता पानी
गोशालाओं में बंद मवेशियों को 15 घंटे नहीं मिलता पानी

संवाद सहयोगी, राठ : गोशालाओं में बंद मवेशियों की स्थिति का जायजा लेने के लिए पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक नोडल अधिकारी ने आधा दर्जन से अधिक गांवों में बनी गोशालाओं को देखा। इनमें बंद मवेशियों को करीब 15 घंटे तक पीने का पानी न मिलने की स्थिति को देखा। निरीक्षण के दौरान जिन गोशालाओं में पचास से कम पशु थे वहां की स्थिति ठीक मिली। परंतु जिनमें पचास से अधिक पशु मिले वहां पर टिनशेड पशुओं की संख्या के आधार पर कम मिले। नोडल अधिकारी ने बताया कि इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।

loksabha election banner

रविवार और सोमवार को पशुपालन विभाग लखनऊ के संयुक्त निदेशक एसएस अली ने गिरवर के पास बनी ओम गोशाला, नगर पालिका परिषद राठ के अलावा सेना, करगवां, सरीला नगर पंचायत, करियारी, बरगवां, मनकहरी, छिबौली, ममना आदि गांवों में बनी गोशालाओं को देखा। बताया कि कुछ गोशालाओं को छोड़कर अधिकांश में मवेशियों के लिए पीने के पानी की कमी मिली। बताया कि शाम को जब मवेशी चर कर गोशालाओं में पहुंचता है तो उसे सीधे बंद कर दिया जाता है। शाम पांच बजे से सुबह 10 बजे के बीच करीब 15 घंटे मवेशी प्यासे रहते हैं। इस दौरान गोशाला की देखरेख करने वाले कर्मचारी ध्यान नहीं देते हैं। सुबह दस बजे के बाद मवेशियों को पानी पिलाया जाता है। नोडल अधिकारी के निरीक्षण के दौरान अधिकांश गोशालाओं में सफाई व्यवस्था नहीं मिली। निरीक्षण के दौरान मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अखिलेश कुमार, उपमुख्य पशुचिकित्साधिकारी डॉ. नवल किशोर सचान, डॉ. परमेश्वरी दयाल, डॉ. पुष्पेंद्र जराखर, डा. योगेंद्र सरीला की टीम रही।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.