हमीरपुर में आंवले के पेड़ की पूजा कर मनाई अक्षय नवमी
संस भरुआ सुमेरपुर अक्षय नवमी का पर्व श्रद्धा व उत्साह के साथ परंपरागत ढंग से कस्बे सहित ग्राम
संस, भरुआ सुमेरपुर : अक्षय नवमी का पर्व श्रद्धा व उत्साह के साथ परंपरागत ढंग से कस्बे सहित ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम के साथ मनाया गया। कस्बे के प्रमुख धार्मिक स्थल गायत्री तपोभूमि में पूरे दिन मेले जैसा नजारा रहा।
संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य पंडित बलदेव प्रसाद शास्त्री ने विधि विधान के साथ आंवला के वट वृक्ष का पूजन संपन्न कराकर पर्व का शुभारंभ प्रसाद वितरण करके किया। परंपरा के अनुसार इस अवसर पर आंवले के वृक्ष का पूजन अर्चन करके वट वृक्ष के नीचे बैठकर प्रसाद ग्रहण किया। मान्यता है कि ऐसा करने से अकाल मृत्यु का खतरा कम होता है और परिवार में एकता समरसता सुख समृद्धि की वृद्धि होती है। लोगों ने तपोभूमि के सभी मंदिरों में जाकर पूजन अर्चन के बाद प्रसाद ग्रहण किया। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में इंगोहटा, बिदोखर, कुंडौरा, चंद्रपुरवा बुजुर्ग, पंधरी, टेढा आदि गांवों में अक्षय नवमी का पर्व मनाया गया। महोबा में भी हुई पूजा
आंवला वृक्ष की पूजा के लिए सुबह से ही महिलाओं की भीड़ दिखी। यहां पूजा के बाद महिलाओं ने वृक्ष के नीचे प्रसाद (खीर-पूड़ी) भी बनाई।
अक्षय नवमी के अवसर पर आंवला के वृक्ष की विशेष पूजा की गई। भगवान विष्णु से धन-धान्य की कामना की गई। आंवला के वृक्ष के पास महिलाएं जुटीं और पूजा के बाद आंवला वृक्ष के पास ही खाना बनाया गया। भरवारा गांव के राम जानकी मंदिर परिसर में स्थित पुराने आंवले वृक्ष के पास समूचे गांव के विभिन्न मोहल्लों की महिलाओं ने पूजा-अर्चना की। महिलाओं ने कन्या व ब्राह्मणों को दान किया। आचार्य पंडित पुरुषोत्तम चतुर्वेदी ने बताया कि कार्तिक के नवमी को आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। बताया कि आंवला के फल को अमृत के समान माना गया है तथा आंवला का वृक्ष सृष्टि के रचियता भगवान विष्णु का रूप माना जाता है।