नई शिक्षानीति सराहनीय, स्थानीय भाषाओं को मिलेगा प्रोत्साहन
क्षानीति सराहनीय स्थानीय भाषाओं को मिलेगा प्रोत्साहनक्षानीति सराहनीय स्थानीय भाषाओं को मिलेगा
जागरण संवाददाता, हमीरपुर : 35 वर्ष बाद देश में नई शिक्षानीति लागू किए जाने को सरकार द्वारा दी गई मंजूरी के बाद लोगों ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं। जहां लंबे समय से बदलाव की पैरवी कर रहे शिक्षाविदों ने इसकी सराहना की है। वहीं शिक्षकों, छात्रों व अभिभावकों ने भी इसे देश के विकास के लिए जरूरी बताते हुए सरकार का सही कदम बताया है। लोगों ने इसे स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने वाला बताया। कम होगा अंग्रेजी का वर्चस्व
नई शिक्षा नीति में प्रस्तावित सभी बिदुओं से लगता है कि शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव होंगे। अब देश के विश्वविद्यालय दूसरे देशों के विश्वविद्यालयों के सापेक्ष खड़े नजर आएंगे। पहली बार ऐसी व्यवस्था की जा रही है, जिससे अंग्रेजी का वर्चस्व खत्म होगा और स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन मिलेगा।
- डॉ. भवानीदीन प्रजापति, सेवानिवृत्त प्रोफेसर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय समन्वय युक्त शिक्षा उपयोगी
नई शिक्षा नीति में पहली बार विषयों का पूल किया गया है। इसके आधार पर आर्ट का छात्र विज्ञान के कुछ विषयों का ज्ञान प्राप्त कर सकेगा और विज्ञान का छात्र आर्ट के कुछ विषयों का। यह समन्वय की शिक्षानीति ज्ञानवर्धक व उपयोगी साबित होगी।
- गजोधर प्रसाद यादव, अध्यापक। बेहतर दिखेंगे दूरगामी परिणाम
नई शिक्षानीति के अंतर्गत शिक्षा को व्यवहारिक व उपयोगी बनाने का प्रयास किया गया है। इससे विद्यार्थियों का भविष्य संवरेगा और राष्ट्र का विकास होगा। बीएड को एक, दो व तीन वर्षीय बनाया गया है। वहीं इंटर के बाद चार वर्षीय बीएड शिक्षा प्राप्त करने की जो व्यवस्था है यह सरकार की दूरगामी शिक्षा नीति का हिस्सा है। जिसके भविष्य में बेहतर परिणाम दिखाई देंगे।
- सुमन निषाद, छात्रा पाठ्यक्रम याद रखने को नहीं बनना पड़ेगा रट्टू तोता
नई शिक्षानीति के तहत पाठ्यक्रम को ऐसा बनाने पर जोर दिया जा रहा है जिसे आसानी से समझा जा सके और उसे याद रखने को रट्टू तोता न बनना पड़े। यह निश्चित रूप से छात्रों के हित में है। पाठ्यक्रम समझने के बाद उन्हे अनर्गल दबाव नहीं झेलना पड़ेगा। इसके अलावा निजी विद्यालयों में प्रवेश को लेकर फीस की मनमानी भी कम होगी।
- चरन सिंह सेंगर, अभिभावक