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Gorakhpur News: खेत के बाड़ में उतरा करंट, बिहार के युवक ने तोड़ा दम- ग्रामीणों की मदद से दाह संस्कार

मामला उनौला दोयम गांव का है। यहां खेतों में प्रतिबंधित होने के बाद भी करंट प्रवाहित बाड़ लगे हैं। बिहार का रहने वाला युवक जड़ी-बूटी बेचने का काम करता था। वह रेलवे क्रासिंग के बगल में टेंट डालकर रहता था।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandPublished: Mon, 30 Jan 2023 03:05 PM (IST)Updated: Mon, 30 Jan 2023 03:05 PM (IST)
Gorakhpur News: खेत के बाड़ में उतरा करंट, बिहार के युवक ने तोड़ा दम- ग्रामीणों की मदद से दाह संस्कार
करंट से गई बिहार के युवक की जान। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर जिले के पिपराइच थाना क्षेत्र के उनौला दोयम गांव के खेत में किसानों ने बाड़ (पशुओं से फसलों को बचाने के लिए तार की घेराबंदी) लगा रखा है। आरोप है कि खेत की तरफ गए बिहार के युवक की उसमें प्रवाहित करंट की चपेट में आने से मौत हो गई। ग्रामीणों के सहयोग से स्वजन ने तुर्रा नाले के पास शव का दाह संस्कार कर दिया।

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यह है पूरा मामला

उनौला दोयम रेलवे क्रासिंग के बगल में बिहार प्रांत के समस्तीपुर के सारण के जादव परिवार के साथ टेंट डालकर जड़ी-बूटी बेचने का कार्य करते थे। सुबह वह खेत की तरफ शौच के लिए गए थे। जहां खेत में लगाए गए बाड़ में करंट प्रवाहित हो रहा था। उसकी चपेट में आने से मृत्यु हो गई। जादव की पत्नी सपना ने बताया कि काफी देर तक नहीं लौटने पर खेत की तरफ जाकर देखा तो वह बाड़ से सटे पड़े थे।

क्या कहते हैं अधिकारी

ग्रामीणों के सहयोग से दाह संस्कार किया गया है। इस संबंध में बिजली विभाग के एसडीओ पादरी बाजार अरविंद सिंह ने बताया कि खेत में लगे बाड़ में करंट प्रवाहित होने की कोई शिकायत विभाग के पास नहीं है। आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। वहीं थाना प्रभारी पिपराइच सूरज सिंह ने बताया कि किसी ने थाने पर प्रार्थनापत्र देकर शिकायत नहीं की है।

बाड़ में करंट प्रवाहित करना, कटीले तार लगाना है प्रतिबंधित

प्रदेश सरकार ने खेतों में करंट प्रवाहित वाले बाड़ समेत कटीले और ब्लेड वाले बाड़ को लगाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। आदेश है कि अगर किसान अपने खेतों में यह बाड़ लगाते हैं तो उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज करते हुए कार्रवाई की जाए। किसान अपनी फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए खेतों के किनारे बिजली वाले, कटीले और ब्लेड वाले बाड़ लगाते थे। इसकी वजह से खेत की तरफ जाने वाले पशुओं की मृत्यु हो जाती थी। इसे लेकर प्रदेश सरकार ने जिलाधिकारियों को इस तरह के बाड़ पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया था।


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