Corona effect: मोहर्रम में नहीं दिखेंगे आकर्षक ताजिये Gorakhpur News
इस बार मोहर्रम में लोगों को आकर्षक ताजिया देखने को नहीं मिलेगा। कोरोना संक्रमण की वजह से जुलूस को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।
गोरखपुर, जेएनएन। मोहर्रम पर एक से बढ़कर एक खूबसूरत ताजिया का दीदार कर लोग अपने को खुशकिस्मत समझते हैं। यूं तो सभी जगह लोग अपनी हैसियत के अनुसार अपने ताजिया को दूसरों से अलग बनाने के लिए जी जान से जुटते हैं, लेकिन अपने शहर की ताजिया शानदार होती है। यहां सोने-चांदी से लेकर गेंहू के बने इकोफ्रेंडली ताजिया सबके लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं, लेकिन इस बार मोहर्रम में लोगों को आकर्षक ताजिया देखने को नहीं मिलेगा। कोरोना संक्रमण की वजह से जुलूस को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है, इसलिए अब तक ताजियों का निर्माण शुरू नहीं हो सका है।
मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन व कर्बला के 72 शहीदों को माह-ए-मुहर्रम में शिद्दत से याद किया जाता है। इस्लामी नया साल इसी महीने से शुरू होता है। इर्द और ईद-उल-अजहा (बकरीद) के बाद मोहर्रम पर भी कोरोना का साया मंडरा रहा है। 21 अगस्त से मोहर्रम का महीना शुरू हो रहा है, लेकिन कोरोना की वजह से तैयारियां अधर में है। वहीं कई महीने पहले से बनने वाली लाइन की ताजिया इस बार नहीं बन रही है।
शहर के अलग-अगग हिस्सों में बनते थे 300 सौ से ज्यादा ताजिए
इन ताजियों में देश-दुनिया की बेहतरीन मस्जिदों, मशहूर मस्जिदों, दरगाहों व मकबरों का अक्स नजर आता है। इन ताजियों की लागत पचास हजार से लेकर तीन लाख रुपये तक आती है। हर साल करीब 300 ताजिया तैयार होती है। हजारों लोग इन ताजियों को देखने उमड़ते हैं। शानदार ताजियों को इनाम से नवाजा जाता है। 15 वर्षों से ताजिया बना रहे इदरीस अहमद कहते हैं कि लॉकडाउन की वजह से लोगों की माली हालत खराब है। ऐसे में ताजिया बनाना बहुत मुश्किल है। अगर ताजिया बना भी लेंगे तो देखेगा कौन? जब जुलूस निकलेगा ही नहीं तो क्या फायदा। नूर मोहम्मद ने बताया कि शहर से निकलने वाली लाइन की ताजिया का जुलूस शानदार व लाजवाब रहता है। लाइन की ताजिया की शोहरत दूर तक है। लाइन की ताजिया 9वीं व 10वीं मोहर्रम की रात को बाद निकालने की परंपरा है। इन जुलूसों का केंद्र गोलघर रहता है। शाह आलम के मुताबिक यहां जैसी जैसा ताजिया पूरे देश मे नहीं बनती, लेकिन कोरोना की वजह लगता है इस बार ताजिया नहीं बन पाएगी। रमजान, ईद, ईद-उल-अजहा जैसे गुजारा है वैसे मोहर्रम भी गुजारेंगे।
शहर में है 352 इमाम चौक
शहर में लगभग 352 इमाम चौक है, लेकिन मोहर्रम की चार तारीख से लेकर दसवीं तक अलग-अलग इमाम चौक से लगभग 245 जुलूस निकलते हैं। सबसे ज्यादा जुलूस तिवारीपुर, कोतवाली, राजघाट और गोरखनाथ क्षेत्र से निकलता है। मोहर्रम की चार, पांच, छह, सात, आठ और नौ तारीख को देर रात जुलूस निकलते हैं। जबकि दसवीं के दिन सुबह से लेकर देर रात तक जुलूस निकलता है।