आप भी जान लें, बड़े काम के हैं उपभोक्ता मामलों के ये नियम-कानून Gorakhpur News
बढ़ते बाजारवाद ने उपभोक्ता संस्कृति को तो बढ़ावा दिया लेकिन जागरूकता की कमी के कारण उपभोक्ताओं को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसे में उपभोकता मामलों की जानकारी होनी आवश्यक है।
गोरखपुर, जेएनएन। सरकार ने उपभोक्ताओं को संरक्षण देने के लिए कई कानून बनाए हैं, बावजूद इसके उपभोक्ताओं से पूरी कीमत लेने के बाद उन्हें सही वस्तुएं और वाजिब सेवाएं नहीं मिलती हैं। बढ़ते बाजारवाद ने उपभोक्ता संस्कृति को तो बढ़ावा दिया लेकिन जागरूकता की कमी के कारण उपभोक्ताओं को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। सरकार का इस बात पर पूरा जोर है कि जब आम आदमी पूरी कीमत देता हैं तो कोई भी वस्तु वजन में कम न लें।
आज हर व्यक्ति उपभोक्ता है, चाहे वह कोई वस्तु खरीद रहा हो या फिर किसी सेवा को प्राप्त कर रहा हो। दरअसल, मुनाफाखोरी ने उपभोक्ताओं के लिए कई तरह की परेशानियां पैदा कर दी हैं। वस्तुओं में मिलावट और निम्न गुणवत्ता की वजह से जहां उन्हें परेशानी होती है, वहीं सेवाओं में व्यवधान या पर्याप्त सेवा न मिलने से भी उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
सेहत के लिए नुकसानदेह हैं कई पदार्थ
सेहत के लिए नुकसानदेह पदार्थ मिलाकर व्यापारियों द्वारा खाद्य पदार्थों में मिलावट करना या कुछ ऐसे पदार्थ निकाल लेना, जिनके कम होने से पदार्थ की गुणवत्ता पर विपरीत असर पड़ता है, जैसे दूध से क्रीम निकाल कर बेचना।
ऐसा करना है अपराध
टेलीविजन और पत्र-पत्रिकाओं में गुमराह करने वाले विज्ञापनों के जरिए वस्तुओं तथा सेवाओं का ग्राहकों की मांग को प्रभावित करना।
वस्तुओं की पैकिंग पर दी गई जानकारी से अलग सामग्री पैकेट के भीतर रखना।
बिक्री के बाद सेवाओं को अनुचित रूप से देना।
दोषयुक्त वस्तुओं की आपूर्ति करना।
कीमत में छुपे हुए तथ्य शामिल होना।
उत्पाद पर गलत या छुपी हुई दरें लिखना।
वस्तुओं के वजऩ और मापन में झूठे या निम्न स्तर के साधन इस्तेमाल करना।
थोक मात्रा में आपूर्ति करने पर वस्तुओं की गुणवत्ता में गिरावट आना।
अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) का गलत तौर पर निर्धारण करना।
एमआरपी से ज़्यादा क़ीमत पर बेचना।
दवाओं आदि जैसे अनिवार्य उत्पादों की अनाधिकृत बिक्री उनकी समापन तिथि के बाद करना।
कमजोर उपभोक्ताएं सेवाएं, जिसके कारण उपभोक्ता को परेशानी हो।
बिक्री और सेवाओं की शर्तों और निबंधनों का पालन न करना।
उत्पाद के बारे में झूठी या अधूरी जानकारी देना।
गारंटी या वारंटी आदि को पूरा न करना।
उपभोक्ता जानें अपने अधिकार
जीवन एवं संपत्ति के लिए हानिकारक सामान और सेवाओं के विपणन के खिलाफ सुरक्षा का अधिकार।
सामान अथवा सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, क्षमता, शुद्धता, स्तर और मूल्य, जैसा भी मामला हो, के बारे में जानकारी का अधिकार, ताकि उपभोक्ताओं को अनुचित व्यापार पद्धतियों से बचाया जा सके।
जहां तक संभव हो उचित मूल्यों पर विभिन्न प्रकार के सामान तथा सेवाओं तक पहुंच का आश्वासन।
उपभोक्ताओं के हितों पर विचार करने के लिए बनाए गए विभिन्न मंचों पर प्रतिनिधित्व का अधिकार।
अनुचित व्यापार पद्धतियों या उपभोक्ताओं के शोषण के विरुद्ध निपटान का अधिकार।
सूचना संपन्न उपभोक्ता बनने के लिए ज्ञान और कौशल प्राप्त करने का अधिकार।
अपने अधिकार के लिए आवाज उठाने का अधिकार।
ये है माप-तोल के नियम
हर बांट पर निरीक्षक की मुहर होनी चाहिए।
एक साल की अवधि में मुहर का सत्यापन जरूरी है।
पत्थर, धातुओं आदि के टुकड़ों का बांट के तौर पर इस्तेमाल नहीं हो सकता।
फेरी वालों के अलावा किसी अन्य को तराज़ू हाथ में पकड़ कर तोलने की अनुमति नहीं है।
तराज़ू एक हुक या छड़ की सहायता से लटका होना चाहिए।
लकड़ी और गोल डंडी की तराज़ू का इस्तेमाल दंडनीय है।
कपड़ा मापने के मीटर के दोनों सिरों पर मुहर होनी चाहिए।
तेल एवं दूध आदि के मापों के नीचे तल्ला लटका हुआ नहीं होना चाहिए।
मिठाई, गिरीदार वस्तुओं एवं मसालों आदि की तुलाई में डिब्बे का वजन शामिल नहीं किया जा सकता।
पैकिंग वस्तुओं पर निर्माता का नाम, पता, वस्तु की शुद्ध तोल एवं कीमत कर सहित अंकित हो। साथ ही पैकिंग का साल और महीना लिखा होना चाहिए।
पैकिंग वस्तुओं पर मूल्य का स्टीकर नहीं होना चाहिए।