भेदभाव के आधार पर समाज को बाटना पाप : योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विजयादशमी पर गोरखपुर में रहे। उन्होंने भगवान श्रीराम का अभिषेक किया। उन्होंने श्रीराम के आदर्शो को जीवन में उतारने की अपील की।
गोरखपुर (जेएनएन)।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान श्रीराम को सामाजिक समरसता और आदर्श राजव्यवस्था का प्रतीक बताते हुए कहा कि आज भी संकट की घड़ी में सबसे पहले मुंह से उन्हीं का नाम निकलता है। राम के बिना एक पल भी हमारा काम नहीं चल सकता। आज जरूरत उनके आदशरें को अपने जीवन में उतारकर परिवार और समाज को एकता के सूत्र से बाधने की है। जाति-पाति, छुआछूत और क्षेत्रीय विभेद के नाम पर समाज को बाटने की कोशिश करना पाप है। ऐसा करने वालों का हश्र रावण जैसा होगा।
मुख्यमंत्री विजयदशमी के अवसर पर गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर से भव्य शोभायात्रा लेकर मानसरोवर होते हुए रामलीला मैदान पहुंचे थे। वहा सबसे पहले उन्होंने रामलीला के श्रीराम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान का अभिषेक किया। श्रीराम के राजतिलक के बाद गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में लोगों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में जब भी अन्याय, अत्याचार और अधर्म के खिलाफ किसी लड़ाई को नई मंजिल तक पहुंचाना हो, मर्यादा पुरुषोत्तम राम का चरित्र मार्गदर्शन करेगा। यह उनके चरित्र की विशेषता ही है कि हजारों वषरें बाद भी हम मर्यादा पुरुषोत्तम राम की राक्षस रावण पर विजय का पर्व धूमधाम से मनाते हैं। उनके आदर्श चरित्र को हर जाति, वर्ग और क्षेत्र के नागरिकों ने बिना किसी संकोच के स्वीकार किया है। सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया में जहा-जहा उनके आदशरें को अंगीकार किया गया वहा-वहा मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त हुआ। आज भी रामराज्य को शासन की उत्कृष्ट व्यवस्था के रूप में जाना जाता है। भेदभाव, नक्सलवाद, आतंकवाद, दारिद्रय और हर प्रकार के दु:ख से मुक्ति का मार्ग रामराज्य ही है। मानवता के सामने जब भी कोई चुनौती दिखती है तो उससे लड़ने की ताकत मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरित्र से मिलती है। उनका पूरा जीवन समाज के विकास, ऋषियों के यज्ञ और लोककल्याण में बाधा डालने वाले दानवों-राक्षसों का अंत करने में गुजरा। गृहकलेश के कारण 14 वर्ष के वनवास के समय भी उन्होंने ऋषि परम्परा के संरक्षण का लक्ष्य संजोए रखा। समाज जिन राक्षसों से थर्रा रहा था उनका वध किया। इसके साथ ही पंचवटी के माध्यम से दक्षिण भारत में प्रवेश कर भारत को उत्तर से दक्षिण तक एकता के सूत्र में बाध दिया। यही नहीं बंदरों, गिरिजनों को जोड़कर उस समय अत्याचार और अन्याय के सबसे बड़े प्रतीक रावण का वध करने में सफलता प्राप्त की।
मुख्यमंत्री ने लंका विजय के बाद श्रीराम द्वारा सोने की लंका के परित्याग का उल्लेख करते कहा कि जन्मभूमि को जननी मानने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम को सोने की लंका नहीं भाई। उन्होंने बता दिया कि जन्मभूमि का कोई विकल्प नहीं।
भारतमाता से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतमाता से खिलवाड़ कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। भले ही इसके लिए कितनी भी बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार देश को दुनिया में अग्रणी बनाने के लिए काम कर रही है। शोषितों, पीड़ितों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास लगातार हो रहे है। प्रधानमंत्री आवास योजना, हर घर में शौचालय, सौभाग्य, आयुष्मान, उच्जवला सहित विभिन्न योजनाओं का उल्लेख किया।
अष्टभुजी देवी में चारों वणरें की भुजाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज को जाति, धर्म, सम्प्रदाय और छुआछूत के नाम पर बाटने की कोशिश करने वालों को समझ लेना चाहिए कि चारों वणरें की दो-दो भुजाएं ही अष्टभुजी देवी की आठ भुजाएं हैं। उन्होंने कहा कि शेर की सवारी वही कर पाएगा जिसके पास देवी मा जैसी शक्ति होगी और यह शक्ति सामाजिक एकता से ही आएगी। उन्होंने मा जगदम्बा की पूजा करने वालों से जाति पाति के विभेद, छुआछूत, क्षेत्रीयता आदि के नाम पर बाटने वालों से सावधान रहने और समाज को जोड़ने की अपील की।
मंदिर में हुआ सहभोज
मुख्यमंत्री के सम्बोधन के बाद शोभायात्रा पुराना गोरखपुर होते हुए वापस गोरखनाथ मंदिर पहुंची जहा संतों, ब्राह्मणों, गरीबों और सामान्य जनों ने साथ बैठकर भोजन किया।