Move to Jagran APP

ये देखिए, हाईटेक दौर में भी इस विभाग में चल रही कागजी लिखा-पढ़ी Gorakhpur News

जनरल डायरी (जीडी) थाने के सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों में से एक है। थाने से जुड़ी हर गतिविधि जीडी में अनिवार्य रूप से दर्ज होती है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 05:32 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 05:32 PM (IST)
ये देखिए, हाईटेक दौर में भी इस विभाग में चल रही कागजी लिखा-पढ़ी Gorakhpur News
ये देखिए, हाईटेक दौर में भी इस विभाग में चल रही कागजी लिखा-पढ़ी Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। पुलिस एक तरफ जहां ऑनलाइन होने का दावा कर रही है, वहीं थानों के मालखाने आज भी रजिस्टर पर ही संचालित हो रहे हैं। मुकदमों से संबंधित दस्तावेज और माल मुकदमों के अलावा लावारिस सामानों को भी यहीं रखने का नियम है। इसकी देखरेख के लिए दीवान या उपनिरीक्षक स्तर का मालखाना इंचार्ज तैनात होने के बावजूद देखरेख के अभाव में कीमती सामान खराब हो रहे हैं।

loksabha election banner

यूं तो मालखाना प्रभारी को दूसरी कोई जिम्मेदारी न देने का प्रावधान है, इसके बावजूद कई थानों पर पुलिसकर्मियों के अभाव में मालखाना प्रभारी से कई अन्य कार्य लिए जा रहे हैं। मालखाना प्रभार के हस्तानांतरण की जटिल प्रक्रिया के चलते भी इसका चार्ज लंबे समय तक एक ही पुलिसकर्मी के पास रहता है। कई बार मालखाना प्रभारी का तबादला दूसरे थाने या सर्किल में होने के बावजूद प्रभार स्थानांतरण नहीं हो पाता है।

जीडी में दर्ज कर रखते हैं सामान

जनरल डायरी (जीडी), थाने के सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों में से एक है। थाने से जुड़ी हर गतिविधि जीडी में अनिवार्य रूप से दर्ज होती है। मालखाने में रखे जाने वाले सामान का विवरण भी पहले जीडी में दर्ज होता है। इसके बाद में उसे मालखाना प्रभार के हवाले कर दिया जाता है। मालखाना प्रभारी सामान का विवरण रजिस्टर में भरने के बाद सामान को मालखाने में रख देता है। इसमें मुकदमे से संबंधित दस्तावेज व सामान के अलावा लावारिस मिली तथा किसी भी कानून के तहत जब्त की गई वस्तु भी शामिल है।

ट्रेजरी के लॉकर में रखे जाते हैं कीमती सामान व नकदी

कई बार पुलिस कीमती सामान और नकदी भी बरामद करती है। मालखाने में रखने पर इसके गायब होने या फिर बेकार हो जाने की आशंका रहती है। ऐसे सामान ट्रेजरी के लॉकर में रखने का नियम है। बड़ी मात्रा में नकदी व गहनों के अलावा महत्वपूर्ण अभिलेखों की बरामदगी करने पर इन्हें रखने के लिए पुलिस ट्रेजरी के लॉकर का ही उपयोग करती है।

सामान खराब होने पर कोर्ट को देनी होती है रिपोर्ट

मालखाने में रखा किसी मुकदमे से संबंधित किसी सामान के खराब होने पर मालखाना प्रभारी को अपने उ'चाधिकारियों और जरूरत पडऩे पर कोर्ट को रिपोर्ट देनी होती है। हालांकि व्यवहारिक तौर पर मालखाना प्रभारी इस तरह की जहमत कम ही उठाते हैं।

लावारिस सामान की एसडीएम कराते हैं नीलामी

लावारिस मिले सामान भी मालखाने में रखे जाते हैं। छह माह के अंदर यदि उस सामान का कोई दावेदार सामने नहीं आता है तो उसे नीलाम कर दिया जाता है। इसके लिए थाने से एसडीएम को रिपोर्ट भेजी जाती है। उस वस्तु का मूल्यांकन कराकर नीलाम करने की जिम्मेदारी एसडीएम की ही होती है।

कोर्ट के आदेश पर अवमुक्त किए जाते हैं सामान

मुकदमे से संबंधित या जब्त सामान कोर्ट के आदेश पर ही अवमुक्त किए जाते हैं। सामान का मालिक इसके लिए कोर्ट से दरख्वास्त कर सामान अपना होने का दावा करता है। इसके प्रमाण भी पेश करता है। कोर्ट के आदेश देने पर सामान, संबंधित व्यक्ति को सौंप दिया जाता है। इस संबंध में एसएसपी डा. सुनील गुप्‍त का कहना है कि नियम और कानून के अनुसार मालखाने में सामान रखे और निस्तारित किए जाते हैं। इसमें किसी भी स्तर पर किसी तरह की लापरवाही नहीं होती है। यदि कभी लापरवाही का मामला पकड़ में आता है तो दोषी पुलिसकर्मी के विरुद्ध कार्रवाई की जाती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.