World Disability Day: अंधकार को बनाई ताकत, आंखें नहीं फिर भी सैकड़ों मरीजों की आंख के तारे बने सूरज व शांति
World Disability Day 2022 गोरखपुर रेलवे अस्पताल में तैनात छह दृष्टिबाधित हास्पिटल अटेंडेंट सामान्य कर्मियों के लिए उदाहरण हैं। इनकी आंखें नहीं हैं फिर भी वार्डों में निर्धारित टेबल पर फाइलें पहुंचा देते हैं। चिकित्सकों के इशारों पर काम करके मरीजों को आश्वस्त करते हैं।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। World Disability Day 2022 : ललित नारायण मिश्र केंद्रीय रेलवे अस्पताल (एलएनएम) के ओपीडी में दृष्टिबाधित शांति चौरसिया एक-एक मरीजों को सलीके से बुलाकर चिकित्सक को दिखा रही थीं। मरीजों को चिकित्सक के पास ले जाने के साथ उनकी फाइलों को भी सहेजकर रख रही थीं। सहजता के साथ उनके कार्यों को देख सहसा विश्वास नहीं हो रहा था कि वह दृष्टबाधित हैं। कुछ पूछते, उसके पहले शांति प्रजापति जिज्ञासाओं को शांत करने लगीं। मन की आंखें ही उनकी ताकत हैं, जो बचपन से ही मंजिल दिखा रही हैं।
मिसाल हैं रेलवे अस्पताल में तैनात छह कर्मी
शांति ही नहीं रेलवे अस्पताल में तैनात छह हास्पिटल अटेंडेंट (एचए) सामान्य कर्मियों के लिए उदाहरण बने हुए हैं। बातचीत में डॉ. प्रवीण श्रीवास्तव बताने लगे, प्रबंधन कार्यालय में तैनात अभिषेक अभी फाइल पहुंचाने गया है। एचए हमें भी प्रेरित करते रहते हैं। इनकी मन की आंखें मरीजों ही नहीं चिकित्सकों के मन की बातें भी पढ़ लेती हैं। कौन कहता है कि यह दिव्यांग हैं, इनके आने से कार्य और सरल व सुगम हो गया है।
बहन का भविष्य संवारने में लगीं शांति
दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातक की डिग्री हासिल करने वाली शांति बताने लगीं। लक्ष्य शिक्षक बनने का है। तैयारी में लगी हूं। खजनी की रहने वाली शांति चार बहनों में सबसे बड़ी हैं। सबसे छोटी भी दृष्टिबाधित हैं, वह उसे भी पढ़ा रही हैं।
मरीजों के मन में उजाला भरते हैं सूरज
बगल वाले कमरे में दृष्टिबाधित सूरज कुमार अग्रहरि डॉ. नंदकिशोर का सहयोग कर रहे थे। एक-एक मरीजों को चिकित्सक से दिखवाना और दवाइयों के बारे में उन्हें आश्वस्त कर उनके मन में उजाला भरना सूरज का प्रतिदिन का काम है। बीएचयू से हिंदी में स्नातक की डिग्री हासिल करने वाले सूरज का कहना था, दिव्यांग युवाओं के लिए भी यह आसमान खुला है। रेलवे ही नहीं हर कार्यस्थल पर उनके लिए संभावनाओं के द्वार उनका इंतजार कर रहे हैं।
क्या कहते हैं डॉक्टर
डॉ. नंदकिशोर का कहना था, आज तक हमें लगा ही नहीं कि सूरज दृष्टिबाधित हैं। वह सामान्य कर्मियों से भी बेहतर कार्य करते हैं। यहां जान लें कि पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने वर्ष 2018-19 में छह दृष्टिबाधित युवाओं को एचए के पद पर तैनात किया। शांति, सूरज के अलावा अभिषेक कुमार गुप्ता, कौशलेंद्र कुमार, परशुराम वर्मा और रमेश वर्मा अपने कार्यों की बदौलत अस्पताल प्रबंधन और सैकड़ों मरीजों की आंख के तारे बने हुए हैं।