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Electricity corporation: निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मियों का कार्य बहिष्‍कार कल

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने तीन फरवरी को कार्य बहिष्कार का एलान कर दिया है। बिजली निगम के सभी कार्यालय बंद रहेंगे। न तो बिजली के बिल जमा होंगे और न ही किसी की समस्या सुनी जाएगी।

By Satish chand shuklaEdited By: Published: Tue, 02 Feb 2021 04:32 PM (IST)Updated: Tue, 02 Feb 2021 04:32 PM (IST)
Electricity corporation: निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मियों का कार्य बहिष्‍कार कल
बिजली कर्मचारियों के आंदोलन के संबंध में प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। बजट में बिजली निगमों के निजीकरण के प्रस्ताव पर अफसरों और कर्मचारियों ने कड़ी नाराजगी जताई है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने तीन फरवरी को कार्य बहिष्कार का एलान कर दिया है। बिजली निगम के सभी कार्यालय बंद रहेंगे। न तो बिजली के बिल जमा होंगे और न ही किसी की समस्या सुनी जाएगी। हालांकि उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात यह है कि आपूर्ति से जुड़े बिजलीकर्मी काम करते रहेंगे।

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समिति के जोनल महामंत्री ऐश्वर्य सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने बजट में घोषणा की है कि संसद के चालू बजट सत्र में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 पारित कराया जाएगा। इस बिल में विद्युत वितरण के लिए मौजूदा लाइसेंसिंग प्रणाली को समाप्त करने का प्राविधान है। विद्युत वितरण के लिए लाइसेंस समाप्त करने का अर्थ होगा कि निजीकरण की आंधी में विद्युत वितरण का कार्य मनमाने ढंग से अपने पसंदीदा कारपोरेट घरानों और यहां तक की अकुशल छोटे ठीकेदारों तक को दिया जाएगा। विद्युत वितरण जैसे अति संवेदनशील और तकनीकी दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य को निजी घरानों और ठीकेदारों को इस तरह सौंपा जाना न तो बिजली उद्योग के हित में है और न ही उपभोक्ता के हित में है। यह बिल न ही कर्मचारियों के हित में है और न ही राष्ट्रहित में। कहा कि बिल 2021 के जरिये थोपे जा रहे निजीकरण के इस स्वरूप का विरोध करने के लिए पूरी एकजुटता और फौलादी एकता के प्रदर्शन का समय आ गया है। ऐलान किया कि निजीकरण के नाम पर सार्वजनिक संपत्ति मात्र एक रुपये की लीज पर निजी घरानों और ठीकेदारों को सौंपने की साजिश को सफल नहीं होने देना है।

राज्य विद्युत परिषद प्राविधिक कर्मचारी संघ के केंद्रीय अध्यक्ष बृजेश त्रिपाठी ने कहा कि निजीकरण की मंशा सफल हुई तो निजी बिजली कंपनियां सरकारी वितरण कंपनियों के नेटवर्क का बिना नेटवर्क में कोई निवेश किए इस्तेमाल करेंगी। निजी कंपनियां सिर्फ मुनाफे वाले औद्योगिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बिजली देंगी और घाटे वाले ग्रामीण और घरेलू उपभोक्ताओं को सरकारी कंपनी घाटा उठाकर बिजली देने को विवश होगी। इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।


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