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लाकडाउन जैसे मुश्किल वक्त में घर-घर पहुंचाई दवा

हमारी असली परीक्षा लॉकडाउन लगने के बाद से शुरू हुई। सुबह ही दुकान के बाहर भीड़ लग जाती। इसको देखते हुए मेडिकल स्टोर खोलने के लिए समय तय किया गया। लोग पर्ची लेकर हमारे यहां दुकान पर आते थे।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 12:30 AM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 10:12 AM (IST)
लाकडाउन जैसे मुश्किल वक्त में घर-घर पहुंचाई दवा
अमर मेडिकल स्टोर के संचालक अमरनाथ नायक।

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना काल में आर्थिक चुनौतियों के बीच दवाएं उपलब्ध कराना आसान नहीं था। लोगों को समय से दवाएं उपलब्ध कराने के साथ खुद को संक्रमण से बचाने की चुनौती थी। मेडिकल स्टोर के संचालकों ने न केवल जोखिम उठाया, बल्कि मानवीय संवेदना दिखाते हुए घर-घर दवाएं उपलब्ध कराई। ऐसे ही दवा कारोबारी हैं शहर के नहर रोड रुस्तमपुर स्थित अमर मेडिकल स्टोर के अमरनाथ नायक। नायक ने नगदी के संकट को देखते हुए ग्राहकों के लिए गूगल-पे की सुविधा दी ताकि डिजिटल लेन-देन में किसी तरह की दिक्कत पेश न आए। पूरे लाकडाउन के दौरान एक हजार से ज्यादा बार ग्राहकों ने भुगनान के लिए गूगल-पे का इस्तेमाल किया।

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अमरनाथ नायक ने बताया कि 2007 में मेडिकल स्टोर खोला। शुरुआती दो साल में ग्राहकों को जोडऩे के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। किसी भी व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए ग्राहकों से अच्छा व्यवहार करना जरूरी है। इस पर हमने अमल किया। कर्मचारियों के सहयोग से काम आसान होता चला गया, लेकिन हमारी असली परीक्षा लॉकडाउन लगने के बाद से शुरू हुई। सुबह ही दुकान के बाहर भीड़ लग जाती। इसको देखते हुए मेडिकल स्टोर खोलने के लिए समय तय किया गया। लोग पर्ची लेकर हमारे यहां आते थे। कतार में खड़े होकर दवाएं खरीदते थे। कई ऐसे बुजुर्ग, महिलाएं व किसी गंभीर बीमारी से पीडि़त लोग थे जो दुकान तक नहीं आ सकते थे। ऐसे लोगों के लिए वक्त पर न सिर्फ दवाएं घर पहुंचवाई बल्कि भुगतान के लिए गूगल-पे का विकल्प दिया। वाट््सएप पर या फोन से दवाएं नोट करते थे और कर्मचारी उनके घर भेजकर दवा पहुंचवाते थे। गूगल पर दुकान का नाम मोबाइल नंबर होने के कारण शहर के कोने-कोने से लोग दवा का आर्डर देने लगे। जब भी कोई दवा का आर्डर देता तो उससे कहा जाता था कि गूगल मैप पर जाकर अपने घर का लोकेशन भेजिए। गूगल मैप के सहारे ग्राहकों का घर ढूढंने में कर्मचारियों को काफी आसानी हुई। इस तकनीक से कर्मचारियों का वक्त भी बचा।

बुजुर्गों ने दी दुआएं

अचानक लॉकडाउन लगने से अफरा-तफरी मच गई थी। लोग इस कदर घबरा गए थे कि जिन्हें दस दिन की जरूरत थी वह एक माह की दवा खरीदने लगे। इससे दवा से शार्टेज हो गई। लोगों को दवा की कमी न हो इसलिए दूसरी दुकानों से दवा मंगवाकर बिना मुनाफा के उपलब्ध कराया। सुबह सात बजे दुकान खुलती तो रात दस बजे के बाद ही बंद हो पाती। कर्मचारियों के गैरहाजिर होने पर खुद दवा पहुंचाने घर-घर जाता। इस दौरान बुजुर्ग हमें दुआओं से नवाजते थे।

फिजिकल डिस्टेंसिंग का किया पालन

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सभी उपाए किए जा रहे हैं। बिना मास्क लगाए आने वाले ग्राहकों को लौटा दिया जाता है। फिजिकल डिस्टेंसिंंग पालन करने पर विशेष जोर दिया गया। फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए एक कर्मचारी की ड्यूटी लगाई गई। इसका सकारात्मक असर पड़ा। बाद में ग्राहक स्वयं दूर-दूर खड़े होने लगे।

सामाजिक दायित्यों का किया निर्वहन

लाकडाउन के समय अमरनाथ नायक समाज सेवा में भी पीछे नहीं रहे। दुकान पर कई ऐसे ग्राहक आए जिन्हें दवा चाहिए थी, लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे। उन्हें निश्शुल्क दवाएं उपलब्ध कराई गई। इसके अलावा जरूरतमंदोंं तक खाने-पीने का सामान मुहैया कराया।


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