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गोरख तलैया और कबीर धूनी के लिए जमीन का अधिग्रहण, जानें क्या है इसका महात्म्य

गोरखपुर के सहजनवां के पास कसरवल में गोरख तलैया और कबीर धूनी निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य शुरू हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 02:10 PM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 02:10 PM (IST)
गोरख तलैया और कबीर धूनी के लिए जमीन का अधिग्रहण, जानें क्या है इसका महात्म्य
गोरख तलैया और कबीर धूनी के लिए जमीन का अधिग्रहण, जानें क्या है इसका महात्म्य

गोरखपुर, जेएनएन। लंबी कवायद के बाद आखिरकार सहजनवां के पास स्थित कसरवल में गोरख तलैया और करीब धूनी के पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का कार्य शुरू हो गया है। दो एकड़ 16 डिस्मिल क्षेत्र में विकसित होने वाले इस पर्यटन स्थल के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया भी साथ-साथ शुरू कर दी गई है। निर्माण कार्य की शुरुआत कबीर संस्थान की पहले से मौजूद जमीन पर हुई है।

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एक वर्ष पूर्व शासन से मिली स्वीकृति के बाद इस स्थल का निर्माण कार्य जमीन के फेर में फंसा हुआ था। दरअसल दो एकड़ 16 डिस्मिल जमीन में इस पर्यटन स्थल को विकसित किये जाने की योजना तैयार की गई लेकिन कबीर संस्थान से पर्यटन विभाग को महज एक एकड़ भूमि ही उपलब्ध हो सकी थी। बाकी की एक एकड़ 16 डिस्मिल जमीन उसे आसपास के कास्तकारों से हासिल करनी थी। यही वजह थी कि शासन ने जहां गोरख तलैया के निर्माण के लिए करीब पांच करोड़ की धनराशि स्वीकृति की तो 154 लाख रुपये जमीन अधिग्रहण के लिए पर्यटन विभाग को उपलब्ध कराए। धन रहने के बावजूद कास्तकारों के तैयार न होने की वजह से अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही थी। काफी मशक्कत के बाद जब किसान तैयार हुए तो विभाग ने बिना देर किए एक तरफ जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है तो दूसरी ओर उपलब्ध जमीन पर गोरख तलैया के निर्माण की प्रक्रिया।

पर्यटन विभाग को यह उम्मीद है कि कार्य निर्माण के दौरान ही अधिग्रहण प्रक्रिया भी सम्पन्न कर ली जाएगी, जिससे आगे होने वाले कार्य में व्यवधान नहीं आएगा।

गहरी है स्थल की आध्यात्मिक मान्यता

गोरख तलैया और कबीर धूनी की समृद्ध आध्यात्मिक मान्यता है। कबीर धूनी के पुजारी राम शरण दास के मुताबिक 600 साल पहले इस क्षेत्र में सूखा पड़ा था। लंबे समय तक बारिश न होने पर स्थानीय लोगों ने भंडारे का आयोजन कराया। भंडारे में गुरु गोरक्षनाथ और कबीरदास के अलावा संत रविदास समेत बहुत से संत आए। भडारे के दौरान पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए गुरु गोरक्ष नाथ ने अपने पैर के अंगूठे से जमीन को दबाकर पानी निकाल दिया। बाद में यह स्थल गोरख तलैया के रूप में मशहूर हो गया। इसी क्रम में कबीर ने धूनी से वर्षा कराकर सूखे से निजात दिलाई और वह स्थल कबीर धूनी बन गया।

जमीन अधिग्रहण शुरू, निर्माण भी जारी

गोरखपुर के क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी रवींद्र कुमार मिश्र का कहना है कि गोरख तलैया और कबीर धूनी को विकसित करने में जमीन की जरूरत को पूरा करने के लिए कास्तकारों से जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उधर जल्द से जल्द यह स्थल पर्यटन की दृष्टि से तैयार हो जाए, इसके लिए मौजूद जमीन पर निर्माण कार्य भी शुरू करा दिया गया है।


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