भूखंड लेते समय नहीं होंगे ठगी के शिकार, GDA कर रहा फुलप्रूफ व्यवस्था
जीडीए का नाम दर्ज न होने से कुछ लोग इसका फायदा उठाकर जमीन बेचने की कोशिश करते हैं और कई लोग उनके जाल में फंस भी जाते हैं। अब जीडीए इस तरह के सभी भूखंडों को चिन्हित कर अपना नाम दर्ज कराने जा रहा है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। शहर क्षेत्र में कई ऐसे भूखंड हैं, जिन्हें गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने अधिग्रहण तो कर लिया है लेकिन अभी तक तहसील में प्राधिकरण का नाम नहीं दर्ज हो पाया। जीडीए का नाम दर्ज न होने से कुछ लोग इसका फायदा उठाकर जमीन बेचने की कोशिश करते हैं और कई लोग उनके जाल में फंस भी जाते हैं। अब जीडीए इस तरह के सभी भूखंडों को चिन्हित कर अपना नाम दर्ज कराने जा रहा है। इसके लिए अभियान चलाया जा रहा है। जिन भूखंडों का मुआवजा काश्तकार को दिया जा चुका है, उसका विवरण विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी (एसएलएओ) को उपलब्ध कराया जा रहा है। एसएलएओ की ओर से ही तहसील में जीडीए का नाम दर्ज कराया जाएगा।
अधिग्रहण के बाद भी जीडीए का नाम दर्ज न होने से ठगे जाते हैं आम लोग
शहर के लच्छीपुर स्थित शास्त्रीनगर में कुछ महीने पहले एक मामला आया था, जिसमें जीडीए ने करीब एक दर्जन से अधिक लोगों को नोटिस जारी कर उन्हें अतिक्रमणकारी बताया था। जीडीए का कहना था कि यह जमीन 1990 के आसपास अधिग्रहीत की जा चुकी है और मुआवजा भी दिया जा चुका है। जबकि यहां मकान बनवाकर रह रहे लोगों के अनुसार उन्होंने 2012-13 तक यहां के भूखंडों को काश्तकार से खरीदा था। तहसील में उस समय भी काश्तकार का ही नाम दर्ज था। इन लोगों को बैंक से घर बनवाने के लिए लोन भी मिला था।
ठगी के कई मामले आ चुके हैं सामने
इसी तरह के अन्य मामले भी हैं, जिसमें लोगों के घर बनाने के बाद जीडीए की नोटिस पहुंची। तहसील के अभिलेखों में जीडीए का नाम समय से दर्ज न होने के कारण आम लोग ठगे जाते हैं और उन्हें परेशान होना पड़ता है। इस तरह की शिकायतें मंडलायुक्त रवि कुमार एनजी के भी संज्ञान में आईं थीं, जिसके बाद उन्होंने जीडीए उपाध्यक्ष को जीडीए की हर जमीन पर नाम दर्ज कराने को कहा था, उसी के बाद से अभियान चलाया जा रहा है। लच्छीपुर के अलावा मानबेला की करीब 12 एकड़ जमीन, खोराबार में भी 10 एकड़ से अधिक जमीन पर नाम दर्ज कराना है। इसके अलावा भी कई क्षेत्रों में जीडीए ने भूखंड पर जीडीए ने अपना नाम दर्ज कराने को कहा है।
एसएलएओ कार्यालय की है जिम्मेदारी
जमीन अधिग्रहण के समय काश्तकारों को मुआवजा देने के लिए जीडीए एसएलएओ कार्यालय को पैसा उपलब्ध करा देता है। एसएलएओ के यहां से परवाना भेजकर तहसील में काश्तकार का नाम काटकर जीडीए का नाम दर्ज करने को कहा जाता है। जितनी भी जमीन जीडीए ने अधिग्रहीत की थी, उसमें से अधिकतर में एसएलएओ की ओर से परवाना भेजा गया था लेकिन तहसील में नाम नहीं दर्ज किया गया।
जीडीए ने जो भी भूखंड अधिग्रहीत किए हैं, उनपर प्राधिकरण का नाम दर्ज कराने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए कई भूखंडों के मामले में एसएलएओ कार्यालय को पत्र लिखा गया है। सभी भूखंडों पर नाम दर्ज होने तक यह प्रक्रिया जारी रहेगी। - आशीष कुमार, जीडीए उपाध्यक्ष।