छेड़खानी से परेशान युवती की इच्छामृत्यु की मांग पर जागी पुलिस, मुकदमा दर्ज
सिद्धार्थनगर जिले में छेड़खानी से परेशान एक युवती को न्याय नहीं मिल पा रहा है। उसने सीएम, डीएम एवं अन्य अधिकारियों को पत्र भेजकर न्याय मांगी। जब कहीं सुनवाई नहीं हुई तो उसने राष्ट्रपति के पास पत्र भेजकर इच्छामृत्यु की मांग कर डाली।
गोरखपुर : इसे दुर्भाग्य कहें या कुछ और, पीड़िता की इच्छामृत्यु की मांग के बाद पुलिस जाग गई है। वह पुलिस जिसकी चेतना को मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ गत दो अप्रैल को ही जगा गए थे। बावजूद इसके सिद्धार्थनगर जिले में इटवा थाना क्षेत्र की एक युवती न्याय के लिए ढाई माह से भटक रही है। थक गई तो इच्छामृत्यु की गुहार लगाई है। फिलहाल इटवा पुलिस ने चार आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
पीड़िता की तहरीर पर बुधवार को इटवा पुलिस ने आरोपित झिनकू, मनकू, मेघू, दिनेश निवासी चौखड़ा के विरुद्ध अपराध संख्या 119/18 धारा 452, 354ए, 323, 504, 506 आइपीसी के तहत मुकदमा पंजीकृत किया। गत 15 जुलाई को पीड़िता ने अपर पुलिस अधीक्षक से मिलकर शिकायत की थी कि कुछ युवकों ने उनके साथ छेड़खानी की। घर के लोग उलाहना देने गए तो उन्हें बेरहमी से पीटा। उसने पुलिस को तहरीर दिया तो आरोपितों का शांतिभंग में चालान किया गया। आरोपित अब उसके परिवार को भद्दी-भद्दी गालियां दे रहे हैं और गांव छोड़ने के लिए धमकी दे रहे हैं। पीड़िता का आरोप है कि 19 जून को उसके साथ छेड़खानी की कोशिश की गई। आरोपितों का धारा 107, 116, 151 में चालान किया गया था।
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आखिर किस विधायक पर पीड़िता लगा रही आरोप
पीड़िता ने पुलिस अधीक्षक व जिले के एक विधायक पर भी गंभीर आरोप लगाया है वह आरोपितों का बचाव करने में लगे हैं। ऐसे में पुलिस आरोपितों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। हालांकि पुलिस ने इससे इंकार किया है।
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अनुमति मिले न मिले, परिवार के साथ करूंगी आत्मदाह
थाने से लेकर पुलिस अधीक्षक, पुलिस महानिदेशक व मुख्यमंत्री तक से शिकायत दर्ज कराने के बाद भी सुनवाई न होता देख पीड़िता ने सीएम, राज्यपाल, प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को प्रार्थनापत्र भेज इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है। पीड़िता का कहना है कि अनुमति मिले या न मिले, वह शीघ्र ही अपने पूरे परिवार के साथ कलेक्टर के दफ्तर के सामने आत्मदाह करेगी, क्योंकि अब तो आरोपियों के आतंक के चलते उसकी पढ़ाई भी छूट चुकी है।
इटवा थाना क्षेत्र के एक गांव में अपने माता पिता व दो बहनों के साथ रहने वाली बीएससी द्वितीय वर्ष की छात्रा के साथ 19 जून की रात भयानक हादसा हुआ। घर के पीछे के रास्ते घुसे गांव के ही एक युवक ने उसके साथ न सिर्फ छेड़छाड़ की बल्कि अश्लीलता पर उतारू हो गया। विरोध पर दूसरे दिन लोगों के साथ मिलकर जबरिया घर में घुसकर परिजनों को मारपीट कर घायल भी किया। जमानत पर छूटे आरोपियों ने पीड़िता और उसके परिवार को फिर निशाना बनाना शुरू किया और हर रोज उसे और उसके घर वालों को प्रताड़ित करने का सिलसिला चल निकला। मामला यहां तक पहुंचा कि स्नातक अंतिम वर्ष में प्रवेश लेने जा रही पीड़िता को जबरिया गाड़ी से उतरवाकर गाली देकर भगा दिया गया। पीड़िता का कहना है कि आठ बार इटवा थाने पर उसे बुलाया गया। हर बार वह सबके पास इसलिए पहुंची कि शायद कहीं से उसे मदद मिले, लेकिन सत्तापक्ष के एक जनप्रतिनिधि के दबाव में हर बार उसे बेइज्जत करके भगा दिया गया। मौजूदा समय में आरोपित हर रोज घर पर पहुंचकर गाली देते हैं और विरोध करने पर मारते पीटते हैं। परिजनों से ही नहीं आरोपियों ने पीड़िता की गाय को भी नहीं छोड़ा। गाय को इतनी बेरहमी से पीटा गया कि वह सप्ताह भर से दाना चारा छोड़कर एक ही जगह है। पीड़िता ने कहा कि अब उसके पास एक ही चारा है कि वह डीएम दफ्तर में पहुंचकर परिवार सहित आत्मदाह कर ले।
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जाति प्रमाण पत्र की भी हो सकती है जांच
अपर पुलिस अधीक्षक मुन्ना लाल मामले की जांच कर रहे हैं। उनके पास पीड़िता का अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र मौजूद है। उन्होंने इस प्रमाण पत्र की जांच की तो जांच में प्रमाण पत्र फर्जी निकला है। गत 11 अगस्त को उपजिलाधिकारी डुमरियागंज ने अपर पुलिस अधीक्षक को प्रमाण पत्र के संबंध में जानकारी दी कि पीड़िता कुम्हार जाति से संबंधित है। वह पिछड़ी जाति की श्रेणी में है। उन्होंने यह भी कहा है कि यह प्रमाण पत्र उनके यहां से जारी नहीं हुआ है।
इस संबंध में सिद्धार्थनगर के पुलिस अधीक्षक डा. धर्मवीर सिंह का कहना है कि आरोपितों के विरुद्ध छेड़खानी का मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। मामले की गंभीरता से जांच कराई जा रही है। जाति प्रमाण पत्र का कहीं दुरुपयोग किया गया है तो उस पर भी कार्रवाई होगी।
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