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अभियंताओं ने गलत तरीके से बना दिया मुख्य नाला, इस बरसात फ‍िर डूबेगा गोरखपुर शहर

जीडीए की गलत इंजीन‍ियर‍िंग के कारण इस बरसात फ‍िर गोरखपुर डूबेगा। देवर‍िया बाईपास पर जीडीए जो नाला बनवा रहा है वह उस नाले से नीचा है जहां जाकर इसे म‍िलना है। इस कारण यहां से पानी न‍िकलने की जगह मुख्‍य नाले के पानी के बैकफ्लो होने की आशंका है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2022 09:02 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2022 08:46 PM (IST)
अभियंताओं ने गलत तरीके से बना दिया मुख्य नाला, इस बरसात फ‍िर डूबेगा गोरखपुर शहर
गोरखपुर के देवर‍िया बाईपास पर लगा बरसात का पानी। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर के तारामंडल क्षेत्र को जलभराव से मुक्ति दिलाने की अफसरों की मंशा पर वर्षा इस बार पानी फेर देगी। वजह, पहले तो नाला इतनी सुस्त गति से बनाया जा रहा है कि वर्षा के बाद ही इसे पूरा किया जा सकेगा और दूसरा जिस नाले में इसे मिलाना है वह ज्यादा ऊंचाई पर है। यानी पानी वापस आने का खतरा बना रहेगा। रामगढ़ गांव में जहां से पानी गोर्रा नदी में जाता है वहां पक्का नाला तक नहीं बन सका है। ग्रामीणों की जमीन से नाला बहता है। इसे लेकर ग्रामीणों में भी नाराजगी है। हाल यही रहा तो इस बरसात भी गोरखपुर शहर बरसात के पानी में डूबेगा।

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हर साल भरता बरसात का पानी

वर्षा होते ही देवरिया बाइपास के दोनों तरफ जलभराव हो जाता है। बुद्धनगर के में कमर भर पानी लग जाता है तो पंचमुखी हनुमान मंदिर के पीछे की कालोनियों में कई दिनों तक पानी जमा रहता है। जलभराव के कारण गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) के दुकानदारों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जलभराव के कारण एक महीने से ज्यादा समय तक दुकानें बंद रखनी पड़ती हैं। इसके आगे बढ़ने पर सिद्धार्थनगर कालोनी, अश्वमेघनगर, भरवलिया, विवेकपुरम, कजाकपुर, न्यू कजाकपुर, रामपुर आदि कालोनियां पानी से भर जाती हैं। जीडीए की कालोनियों का भी यही हाल रहता है। गौतम विहार, गौतम विहार विस्तार आदि कालोनियों में कई दिनों तक पानी भरा रहता है।

इस व्यवस्था से नहीं होगा समाधान

नागरिकों की समस्या को देखते हुए जीडीए ने पंचमुखी हनुमान मंदिर से कादंबिनी हाइट्स तक नाला का निर्माण शुरू कराया। 15 जून तक नाला बन जाने का दावा किया गया था लेकिन काफी हिस्सा अभी कच्चा ही रह गया है। अफसरों ने नाला पूरा कराने की जल्दबाजी में कई जगहों पर नाले में ह्यूम पाइप डाल दिया है। यह पाइप बाद में जलभराव का ही कारण बनेंगे। भगत चौराहा पर अभी नाला बनाया नहीं जा सका है। नाला के लिए गहरी खोदाई कर दी गई है। यहां रोजाना हादसे हो रहे हैं।

रेग्युलेटर की लोहे की चादर हो चुकी है खराब

रामगढ़ में रेग्युलेटर की लोहे की चादर खराब हो चुकी है। एक तरफ का दरवाजा बंद रहता है, दूसरी तरफ से पानी काफी धीमी गति से निकल रहा है। यहां से पानी ग्रामीणों के खेत से होते हुए छोटी पुलिया के नीचे से गोर्रा नदी में जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि गोर्रा नदी में पानी भरता है तो इसी रेग्युलेटर से वापस शहर में जाने से रोका जाता है। अब रेग्युलेटर जर्जर हो गया है, यदि गोर्रा में ज्यादा पानी आएगा तो दिक्कत होगी।

गायघाट के पोखरे में जोड़ दिया नाला

बौद्ध संग्रहालय रोड के किनारे नाला अब तक नहीं बन सका है। नाला कई जगह अधूरा है तो कई जगह अभी कच्चा ही है। नाले की चौड़ाई ज्यादा है लेकिन पानी का बहाव काफी धीमी गति से हो रहा है। इस नाले को गायघाट के पोखरे में मिला दिया गया है। इस नाले से रामगढ़ की ओर पानी जाने के लिए नाला बनाया गया है। आगे भरवलिया से आने वाले नाले को जोड़ा गया है। पतले नाले में कई इलाकों को जोड़ने से जलभराव से मुक्ति मिलनी आसान नहीं है। वार्ड नंबर 15 के पार्षद रामलवट कहते हैं कि, 'समस्या यह है कि पोखरे पर बना पंपिंग स्टेशन ज्यादातर समय खराब रहता है। पहले वाले नाले और अब बन रहे नाले की ऊंचाई में अंतर है। अफसरों को यह बात क्यों नहीं समझ में आती है, यह किसी को समझ में नहीं आ रहा है।'

जीडीए द्वारा नालों का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। रात में भी काम हो रहा है। देवरिया बाईपास नाला की लंबाई 2450 मीटर है। 1230 मीटर यानी आधे से अधिक लंबाई में निर्माण पूरा हो चुका है। शेष 1220 मीटर में कच्चे नाले की खोदाई की गई है, जिससे जलनिकासी की समस्या नहीं रहेगी। सड़कों के नीचे ह्यूम पाइप भी डाला गया है। फरसिया नाले की गहराई अधिक है इसलिए बैक फ्लो जैसी समस्या भी नहीं होगी। उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम द्वारा किए जा रहे 750 मीटर लंबे नाले का कुछ हिस्सा अभी अधूरा है। इस नाले को फरसहिया ताल में गिराया जा रहा है, जहां से पंप से पानी रामगढ़ नाला में डाला जाएगा। वर्षा के समय जीडीए की टीम पोकलेन एवं अन्य उपकरणों के साथ मुस्तैद रहेगी, जिससे कहीं भी जलभराव न हो। - प्रेम रंजन सिंह, उपाध्यक्ष जीडीए।


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