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गोरखपुर में आ रहे हैं इतनी संख्‍या में जंगली जानवर, चिडि़याघर में हो रही व्‍यवस्‍था Gorakhpur News

गोरखपुर के चिडिय़ाघर में कुल 387 वन्य जीवों को लाए जाने की योजना है जिनमें ज्यादातर जीवों के लिए करार की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 08:02 AM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 09:25 AM (IST)
गोरखपुर में आ रहे हैं इतनी संख्‍या में जंगली जानवर, चिडि़याघर में हो रही व्‍यवस्‍था Gorakhpur News
गोरखपुर में आ रहे हैं इतनी संख्‍या में जंगली जानवर, चिडि़याघर में हो रही व्‍यवस्‍था Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। वह दिन दूर नहीं जब गोरखपुर भी देश व प्रदेश के उन महत्वपूर्ण जिलों में शामिल होगा, जहां चिडिय़ाघर है। निर्माण प्रक्रिया अंतिम चरण की ओर बढ़ चली है, सो चिडिय़ाघर आकार लेता दिखने लगा है। रामगढ़ ताल के किनारे महान क्रांतिकारी अशफाकउल्लाह खां के नाम से बन रहे इस चिडिय़ाघर में जानवरों के बाड़े तो करीब-करीब तैयार हो ही चुके हैं, उन्हें लाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। यहां रखे जाने वाले तीन बब्बर शेर गुजरात से इटावा सफारी तक आ चुके हैं तो दो गैंडों को असम से लाने की औपचारिकता पूरी की जा रही है। हालांकि निर्माण पूरा होने तक यह गैंडे लखनऊ चिडिय़ाघर में रहेंगे। चिडिय़ाघर में कुल 387 वन्य जीवों को लाए जाने की योजना है, जिनमें ज्यादातर जीवों के लिए करार की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।

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121 एकड़ भूमि पर तैयार हो रहा चिडि़याघर

121.342 एकड़ भूमि पर 234.37 करोड़ रुपये से तैयार हो रहा शहीद अशफाकउल्लाह खां प्राणि उद्यान प्रदेश का पहला ऐसा चिडिय़ाघर होगा, जहां मनोरंजन और रोमांच का सिलसिला टिकट लेने के साथ ही शुरू हो जाएगा। चिडिय़ाघर का एंट्रेंस प्लाजा जानवरों तक पहुंचने से पहले ही दर्शकों का न केवल भरपूर मनोरंजन कर देगा बल्कि उनका वन्य जीव ज्ञान भी समृद्ध करेगा। 4013 वर्ग मीटर के एंट्रेंस प्लाजा का प्रवेश द्वार गोरखनाथ मंदिर में प्रवेश का अहसास कराएगा, क्योंकि द्वार का वास्तुशिल्प मंदिर सा ही है। प्लाजा में प्रवेश करते ही ओपेन एयर थिएटर मिलेगा, जिसमें वन्य जीव से जुड़ी जानकारी और जागरूकता से जुड़े कार्यक्रम निरंतर देखने को मिलेंगे। स्कूली बच्चों के लिए लेजर लाइट-शो का आयोजन भी समय-समय पर इस थिएटर में किया जाएगा। इस थिएटर में 100 से अधिक दर्शकों के बैठने की व्यवस्था होगी। प्लाजा का दूसरा आकर्षण इंटरप्रेटेशन सेंटर होगा, जिसमें पार्क, सेंचुरी, चिडिय़ाघर में फर्क बताया जाएगा। साथ ही चिडिय़ाघर के इतिहास, प्रारूप, जानवरों आदि की जानकारी भी विस्तार से दी जाएगी। एंट्रेंस प्लाजा में एक 4डी थिएटर भी होगा, जिसमें एक साथ 48 लोग बैठकर वन्य जीवों पर तैयार किए गए शो का लुत्फ उठा सकेंगे। शो और थिएटर का प्रारूप ऐसा होगा कि उसे देखने के दौरान जंगल में जानवरों के बीच होने का अहसास होगा। थिएटर में चारो तरफ से आने वाले जानवरों और हवा की आवाज दर्शकों को रोमांचित करेगी। दर्शकों की सुविधा के लिए एटीएम भी लगाए जाएंगे।

जानवरों को चिडिय़ाघर में जंगल सा माहौल मिले, इसके लिए कुल क्षेत्र के41 फीसद हिस्से को वन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। ऐसा करने के पीछे की एक मंशा यह भी है कि जानवरों की आपस में आई कांटेक्ट न होने पाए और साथ ही वह उन्हें देखने आने वाले दर्शक जूनोटिक बीमारी से बचे रहें। जूनोटिक बीमारी उसे कहते हैं, जिसमें बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी एक से दूसरे जानवर और जानवरों से मनुष्यों के बीच संक्रमित होते हैं। जानवरों को एक-दूसरे की उपस्थिति से दिक्कत न होने पाए, इसके लिए दो बाड़ों के बीच आठ से 10 मीटर का ग्रीन बेल्ट विकसित किया जा रहा है। इसके अलावा चिडिय़ाघर की अंदर की दीवार से पांच मीटर के दायरे में ग्रीन वाल बनाई जा रही है, जिससे जानवरों को इस बात का अहसास न होने पाए कि वह किसी निश्चित दायरे या शहरी क्षेत्र में हैं। 

गोरखपुर में तैयार हो रहा अशफाकुल्लाह खां चिडिय़ा घर कानपुर और लखनऊ के बाद प्रदेश का तीसरा चिडिय़ाघर है। क्षेत्र के हिसाब से यह कानपुर के बाद दूसरा बड़ा चिडिय़ाघर है, लेकिन वेटलैंड एरिया में पक्षी विहार का अनूठा प्रयोग करने वाला यह प्रदेश का पहला चिडिय़ाघर होगा। 121 एकड़ के चिडिय़ाघर के दायरे में पहले से मौजूद 34 एकड़ वेटलैंड (जलाशय) क्षेत्र को पक्षी विहार के रूप में विकसित किया जा रहा है। चिडिय़ा घर में देशी-विदेशी पक्षियों का ठहराव बढ़ाने के लिए वेटलैंड क्षेत्र में सात माउंड यानी टीले बनाए गए हैं। इनपर पीपल, पाकड़, गूलर, बरगद जैसे वृक्षों के पौधे रोपे गए हैं। चिडिय़ाघर प्रशासन के मुताबिक यह पौधे वृक्ष बनकर पक्षियों के ठहराव के लिए अनुकूल माहौल बनाएंगे। चिडिय़ाघर तक पहुंचने वाले लोग देशी-विदेशी पक्षियों के कलरव का लुफ्त उठा सकें, इसके लिए वेटलैंड से कुछ दूरी पर करीब पौन किलोमीटर की एक सड़क बनाई जा रही है। इस सड़क के एक ओर पक्षी विहार रहेगा तो दूसरी और 24 एकड़ का वन क्षेत्र होगा।

चिडिय़ाघर में पशु-पक्षी की रिहायश के लिए 33 बाड़े बनाए गए हैं।  इनमें मोर, फीजेंट, लकड़बग्गा, भेडिय़ा, सियार, घडिय़ाल, मगरमच्छ, सांप, कछुआ, इक्वेरियम, फाक्स, लैपर्ड, बाघ, शेर, दरियाई घोड़ा, शाही, खरहा, बटरफ्लाई, भालू, गैंडा के लिए एक-एक, बंदरों और स्माल कैट के लिए तीन-तीन, भालू के लिए दो और हिरन के लिए छह बाड़े तैयार किए जा रहे हैं।

बब्बर शेर-6, तेंदुआ-6, बाघ-5,  गैंडा-2, दरियाई घोड़ा-2, लकड़बग्गा-2, हिमालयन ब्लैक बीयर- 4, स्लॉथ बीयर- 4, स्वाम्प डीयर- 13, हॉग डीयर- 10, ब्लैक बग- 16, बार्किँग डीयर- 7, स्पॉटेड डीयर- 43, बारहसिंहा-14, घडिय़ाल-2,  सांभर-18, लोमड़ी-4, सियार-5 भेडिय़ा-5, शाही-6,  फिजेंट -2, जेब्रा-4, फिशिंग कैट-4, जंगली बिल्ली-4, लेपर्ड कैट-4, लंगूर- 27, मगरमच्छ-20 और घडिय़ाल-6 की संख्‍या में रखे जाएंगे।


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