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पत्‍नी को 90 लाख रुपये गुजारा भत्‍ता देंगे प्रोफेसर साहब, एकमुश्‍त देनी होगी यह राशि Gorakhpur News

गोरखपुर के प्रोफेसर ओम प्रकाश पांडेय को जीवन निर्वाह के लिए पत्नी को 90 लाख रुपये अदा करना होगा। अपर प्रधान न्यायाधीश इरफान अहमद ने प्रोफेसर की पत्नी की ओर से दाखिल परिवाद में गुरुवार को फैसला सुनाते हुए यह आदेश दिया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2020 09:30 AM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2020 07:22 PM (IST)
पत्‍नी को 90 लाख रुपये गुजारा भत्‍ता देंगे प्रोफेसर साहब, एकमुश्‍त देनी होगी यह राशि Gorakhpur News
कोर्ट ने पत्‍नी को 90 लाख रुपये एकमुश्‍त गुजारा भत्‍ता देने का निर्देश दिया है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग में प्रोफेसर ओम प्रकाश पांडेय को जीवन निर्वाह के लिए पत्नी को 90 लाख रुपये अदा करना होगा। अपर प्रधान न्यायाधीश इरफान अहमद ने प्रोफेसर की पत्नी की ओर से दाखिल परिवाद में गुरुवार को फैसला सुनाते हुए यह आदेश दिया है। प्रोफेसर को पूरी रकम एकमुश्त देनी अदा करनी होगी। आदेश का पालन कराने के लिए अदालत ने अपने फैसले की प्रति विश्वविद्यालय के सक्षम अधिकारियों को भी प्रेषित करने के लिए निर्देशित किया है।

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1985 में शादी, 1999 में तलाक

चौरीचौरा क्षेत्र के डुमरी खास निवासी जयंती पांडेय की शादी 23 जून 1985 को प्रोफेसर ओम प्रकाश पांडेय के साथ हुई थी। शादी के कुछ साल तक तो सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा लेकिन बाद में उनके रिश्ते में खटास आनी शुरू हो गई। धीरे-धीरे स्थिति इतनी बिगड़ गई कि 1999 में पति-पत्नी में संबंध विच्छेद हो गया। दो लोग अलग रहने लगे। पति से अलग होने के बाद जयंती पांडेय ने भरण-पोषण के लिए परिवार न्यायालय में विरुद्ध परिवाद दाखिल किया। 

दो करोड़ रुपये की मांग की थी

इस मामले में न्यायालय ने 31 मई 2006 को फैसला सुनाते हुए ओम प्रकाश पांडेय को प्रति माह पांच हजार रुपये जयंती पांडेय को अदा करने का आदेश दिया। इस आदेश के विरुद्ध ओम प्रकाश पांडेय ने उच्च न्यायालय अपील की थी। अक्टूबर 2019 में जयंती पांडेय ने जीवन निर्वाह के लिए एकमुश्त दो करोड़ रुपये दिए जाने का परिवाद दाखिल किया। इस मामले में दोनों पक्षों की सुनने के बाद न्यायालय ने प्रोफेसर को एकमुश्त 90 लाख रुपये देने का आदेश दिया है। आदेश की प्रति विश्वविद्यालय के सक्षम अधिकारियों को भेजने का निर्देश देकर न्यायालय ने उन्हें भी अपने आदेश का अनुपालन कराने की जिम्मेदार दी है।


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