कोरोना वायरस के तीन स्ट्रेन सामने आए, कौन ज्यादा खतरनाक- गोरखपुर में होने जा रहा शोध
कोरोना संक्रमितों में सामन्यता तीन तरह के मामले अभी तक सामने आए हैं। एक वे हैं जो सामान्य लक्षणों के साथ 10 से 14 दिन में स्वस्थ हो जा रहे हैं। दूसरे वे जिनमें चार दिन सामान्य लक्षण दिख रहे हैं और अचानक गंभीर रूप से बीमार पड़ रहे हैं।
गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। कोरोना के कितने तरह के वायरस शहर में घूम रहे हैं? इस पर बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कालेज का माइक्रोबायोलाजी विभाग व क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) शोध मिलकर शोध करेंगे। कोरोना के नए स्ट्रेन की जांच के लिए दो से पांच फीसद नमूने इंस्टीट्यूट आफ जेनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलाजी (आइजीआइबी) दिल्ली व नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी (एनआइवी) पुणे भेजे जाएंगे। वहां से आई रिपोर्ट का अध्ययन कर पता करने की कोशिश की जाएगी कौन सा स्ट्रेन ज्यादा खतरनाक हैं? और इसका क्या उपाय है।
दो से पांच फीसद नमूने जांच के लिए भेजे जाएंगे आइजीआइबी व एनआइबी
कोरोना संक्रमितों में सामन्यता तीन तरह के मामले अभी तक सामने आए हैं। एक वे हैं जो सामान्य लक्षणों के साथ 10 से 14 दिन में स्वस्थ हो जा रहे हैं। दूसरे वे जिनमें चार दिन सामान्य लक्षण दिख रहे हैं और इसके बाद अचानक गंभीर रूप से बीमार पड़ रहे हैं। आक्सीजन का स्तर 80 से नीचे चला जा रहा है। कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं जिनमें अचानक लक्षण प्रकट हो रहे हैं और आठ से 12 घंटे के दौरान उनकी मृत्यु हो जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन तीनों मामलों में कोरोना के अलग-अलग स्ट्रेन प्रभावी हो सकते हैं। यह भी हो सकता है कि जिनकी आठ से 12 घंटे के अंदर मृत्यु हो रही है, उनमें कई तरह के स्ट्रेन एक साथ प्रवेश कर गए हों। फिलहाल इस पर शोध के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
माइक्रोबायोलाजी व आरएमआरसी करेंगे शोध
कोरोना के कितने तरह के स्ट्रेन शहर में हैं और लोगों को प्रभावित कर रहे हैं, इस पर माइक्रोबायोलाजी व आरएमआरसी ने शोध का निर्णय लिया है। जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा शहर में न होने से दो से पांच फीसद नमूने दिल्ली व पुणे भेजकर कोरोना के स्ट्रेन के बारे में पता किया जाएगा। वहां से आई रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद पता चल सकेगा कि ज्यादा गंभीर लोगों में कोरोना का कौन साथ या कितने स्ट्रेन थे।
कई तरह के कोरोना मरीज सामने आ रहे हैं। इनमें तीन तरह के मामले प्रमुख हैं- सामान्य, ज्यादा गंभीर और कुछ ही देर में मृत्यु। यह एक ही वायरस से संभव नहीं है। इसलिए इस पर शोध का निर्णय लिया गया है। - डा. अमरेश सिंह, अध्यक्ष, माइक्रोबायोलाजी विभाग, बीआरडी मेडिकल कालेज
दो से पांच फीसद नमूने भेजकर जीनोम सिक्वेंसिंग कराई जाएगी। वहां से आई रिपोर्ट का अध्ययन कर यह जानने की कोशिश की जाएगी कि कितने तरह के कोरोना वायरस शहर में फैले हुए हैं और उनका क्या प्रभाव है। - डा. अशोक पांडेय, वायरोलाजिस्ट, आरएमआरसी।