कहां है वन विभाग का पं.दीनदयाल स्मृति उपवन, ढूंढते रह जाओगे
उपवन में पौधों को पानी देने तक की व्यवस्था नहीं बनाई गई। इसे दुर्भाग्य कहें या लापरवाही वन विभाग ने उपवन के नाम पर महज खानापूर्ति की। ऐसे में समय के साथ तमा पौधे सूख गए। उपवन के चारो तरफ लगे पिलर गायब हो गए।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। वन विभाग की ओर से बस्ती में स्थापित उपवन लापरवाही की भेंट चढ़ गए। कौन सा उपवन कहां हैं इसे खोजना आसान नहीं है। हालत यह है कि वर्ष 2017 में स्थापित पं. दीनदयाल उपाध्याय स्मृति उपवन अब खोजे नहीं मिल रहा है। विभाग के अधिकारी भी इसके बारे में नहीं बता पा रहे हैं।
सदर रेंज में स्थापित हुआ था पं. दीनदयाल स्मृति उपवन
पं. दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशती पर पांच जुलाई को बस्ती सदर रेंज के डमरुआ जंगल ग्राम पंचायत में स्थापित पं. दीनदयाल स्मृति उपवन भी वन विभाग की उदासीनता का शिकार हो गया। यह अब स्मृतियों में रह गया है क्यों कि क्षेत्र के लोगों को ही नहीं पता कि वन विभाग का यह उपवन कहां हैं। डमरुआ जंगल ग्राम पंचायत में सड़क के किनारे वन्य क्षेत्र की भूमि पर स्थापित पं. दीनदयाल स्मृति उपवन की स्थापना के समय कुल छह हेक्टेयर में 2550 पौधे लगाए गए थे।
इन पौधों को किया गया था रोपण
इनमें शीशम, कड़जी, सिरस, जामुन, कदंब, नीम, आम गुटेल, अर्जुन के अलावा शोभाकार पौधे महोगनी, चक्रेशिया और अकेशिश आदि के पौधे शामिल थे। इनकी देखभाल के लिए एक वाचर भी तैनात किया जाना था, मगर उसकी तैनाती नहीं की गई। पौधों की सुरक्षा के लिए उपवन के चारो तरफ खाई बनाने की योजना थी, उसे भी अमल में नहीं लाया गया।
पौधों को पानी देने तक का नहीं किया गया था इंतजाम
उपवन में पौधों को पानी देने तक की व्यवस्था नहीं बनाई गई। इसे दुर्भाग्य कहें या लापरवाही वन विभाग ने उपवन के नाम पर महज खानापूर्ति की। ऐसे में समय के साथ तमा पौधे सूख गए। उपवन के चारो तरफ लगे पिलर गायब हो गए। बोर्ड का भी अता पता नहीं हैं। महज नाम के पौधे बचे हैं, स्थानीय लोगों की माने तो वह भी उपवन की स्थापना से पूर्व के हैं।
बदहाली के लिए जिम्मेदार पर होगी कार्रवाई
उप प्रभागीय निदेशक वन अनिल कुमार पांडेय ने बताया कि पं. दीनदयाल स्मृति उपवन की स्थापना काफी पहले हुई है, यह संज्ञान में नहीं है। पूरी जानकारी करने के बाद ही इसके बारे में कुछ बताया जा सकता है। उपवन की बदहाली के लिए जो भी जवाबदेह होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी।