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ऐसे शिक्षक कहां, गरीब और निराश्रित बच्चों को मुफ्त ज्ञान के साथ दे रहे कापी-किताब

निराश्रित व गरीब बच्चों को बीटेक तृतीय वर्ष के छात्र उत्कर्ष और उनकी टीम शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ रहे हैं। वर्ष 2018 से छह बच्चों से इन्होंने निश्शुल्क पाठशाला शुरू की। पाठशाला में पहली से कक्षा 10 तक के डेढ़ सौ से अधिक बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Tue, 05 Oct 2021 05:45 PM (IST)Updated: Tue, 05 Oct 2021 05:45 PM (IST)
ऐसे शिक्षक कहां, गरीब और निराश्रित बच्चों को मुफ्त ज्ञान के साथ दे रहे कापी-किताब
बच्चों को शिक्षा देते उत्कर्ष। सौ. स्वयं

गोरखपुर, प्रभात कुमार पाठक : निराश्रित व गरीब बच्चों को बीटेक तृतीय वर्ष के छात्र उत्कर्ष और उनकी टीम शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ रहे हैं। वर्ष 2018 से छह बच्चों से इन्होंने निश्शुल्क पाठशाला शुरू की। आज इनकी पाठशाला में पहली से कक्षा 10 तक के डेढ़ सौ से अधिक बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। दोपहर दो से चार बजे तक चलने वाली क्लास में उत्कर्ष के पांच दोस्त भी हैं, जो बच्चों को कापी-किताबें व अन्य पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए लोगों से एकत्र करते हैं। यही नहीं दूर-दराज गांवों में जाकर शिक्षा से वंचित बच्चों के अभिभावकों को पढ़ाई के प्रति जागरूक भी करते हैं।

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इस कार्य की प्रेरणा मिली गांव से

शहर के उत्तरी हुमायूंपुर निवासी उत्कर्ष बताते हैं कि ग्रामीण परिवेश से जुड़े होने के कारण उन्हें इस कार्य की प्रेरणा गांव से ही मिली। गांव में जब आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के अभिभावकों से मिलते थे तो वह बताते थे कि पैसा नहीं होने के कारण वह अपने बच्चे को शिक्षित नहीं कर पा रहे हैं। उनकी इस बात का ऐसा प्रभाव पड़ा कि उसी समय मैंने ऐसे बच्चों को पढ़ाने की ठान ली। उसी समय से उत्कर्ष सुदूर गांवों में जाकर बच्चों के अभिभावकों से मिलते हैं और उन्हें पढ़ाई के लिए जागरूक करते हैं।

दोस्तों का भी मिला सहयोग, खर्च करते हैं अपने जेब से वहन

उनके इस कार्य में उनके दोस्त अनुराग पांडेय, पवन पटेल, पवन तिवारी, आलोक विश्वकर्मा, हिमांशु मिश्र व कवि यादव उनकी पूरी मदद करते हैं। इसमें जो खर्च आता है, सभी अपने जेब से वहन करते हैं।

छह से हो गए डेढ़ सौ से अधिक हो गई बच्चों की तादाद

वर्ष 2018 के सितंबर माह से छह बच्चों को निश्शुल्क पढ़ाने की शुरुआत करने वाले उत्कर्ष की पाठशाला में आज डेढ़ सौ से अधिक बच्चे हैं। इनमें नर्सरी से लेकर कक्षा दस तक के छात्र शामिल हैं।


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