जानें- चातुर्मास्य में कौन से कार्य हैं वर्जित, कौन से कार्य होंगे फलदायी Gorakhpur News
चातुर्मास्य में सभी तरह के मांगलिक कार्य बंद रहेंगे। बुधवार से अब चार माह बाद ही शादी विवाह हो पाएंगे।
गोरखपुर, जेएनएन। आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी (हरिशयनी एकादशी) बुधवार को है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन (योग निद्रा) के लिए जाते हैं। चार माह बाद देवोत्थान एकादशी (कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी) के दिन जागते हैं। इस वर्ष देवोत्थान एकादशी 25 नवंबर को है। इन चार महीनों को चातुर्मास्य कहते हैं। इस दौरान समस्त विवाह आदि मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं।
आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी को क्षीर सागर में शयन के लिए जाएंगे भगवान विष्णु
पं. शरदचंद्र मिश्र, पं.नरेंद्र उपाध्याय, पं.विवेक उपाध्याय व पं.राजेश पांडेय के अनुसार बुधवार को सूर्योदय 5:13 बजे व एकादशी तिथि सायं 4:25 बजे तक है। इस दिन विशाखा नक्षत्र, सिद्धि योग व सूर्योदय के समय दाता नामक महा औदायिक योग भी है। ये योग एकादशी व्रत के फल में वृद्धि करेंगे। यह एकादशी व्रत करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और व्रती की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
चातुर्मास्य का व्यावहारिक अर्थ
चातुर्मास्य अर्थात सावन, भाद्रपद, अश्विन व कार्तिक, ये चार महीने वर्षा ऋतु के दौरान आते हैं। इन दिनों बारिश होती है। नदी-नाले ऊफान पर आ जाते हैं। जगह-जगह मार्ग अवरुद्ध हो जाता है, इसलिए साधु-संत इन चार महीनों में कहीं यात्रा नहीं करते हैं। हरिशयनी एकादशी के दिन वे कहीं रुक जाते हैं और वहीं पूजा-अर्चना, जप, ध्यान आदि करते हैं। भगवान बुद्ध ने श्रावस्ती में 27 वर्षा काल व्यतीत किया था। बाढ़ और बारिश के चलते इन चार महीनों में बहुत सारे कार्य रोक दिए जाते हैं। इन व्यावहारिक कठिनाइयों के मद्देनजर इसे धर्म से जोड़ दिया गया, ताकि इस दौरान लोग एक जगह रहकर अपना समय भगवान की प्रार्थना में व्यतीत करें।
बरसात में यह कार्य भी हुए ठप
बरसात का असर फैक्ट्रियों पर पड़ा है। मांग कम होने से उत्पादन घटा दिया गया है। कई इकाइयों में बड़ी मात्रा में उत्पाद डंप हंै। उत्पादन कम से अधिकतर इकाइयों में नए लोगों के लिए रिक्ति भी नहीं निकल रही। फैक्ट्रियों में उत्पादन शुरू होने के बाद जरूरी सामान के साथ ही स्टील एवं हार्डवेयर के उत्पादों की जबरदस्त मांग थी। हार्डवेयर में मांग के अनुरूप आपूर्ति कर पाना मुश्किल हो रहा था, लेकिन बारिश के कारण अधिकतर स्थानों पर काम बंद हो जाने से मांग घट गई। मजबूरी में उत्पादन भी घटाना पड़ा। हार्डवेयर के दाम में भी कमी दर्ज की गई है। कुछ इकाइयों में शिफ्ट भी कम की गई है। कई जगहों पर निर्माण कार्य बंद हो जाने से सरिया की मांग भी कम हुई है।
किसी ने नहीं बताई कामगारों की जरूरत
लॉकडाउन के समय कुछ फैक्ट्रियों में उत्पादन शुरू हुआ तो कर्मचारियों की कमी महसूस हुई। इस दौरान बाहर से आए कुछ लोगों को भी रोजगार मिल गया। लेकिन, इस समय फैक्ट्रियों में नया रोजगार मिलना मुश्किल है। उत्पादन कम होने से उद्यमी कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। उपायुक्त उद्योग के साथ हुई बैठक में लघु, मध्यम एवं दीर्घ श्रेणी की हर इकाई में कम से कम पांच-पांच कामगारों को रोजगार देने पर सहमति बनी थी। उद्यमियों को अपनी ओर से प्रोफार्मा पर आवश्यकता भी बतानी थी लेकिन स्थितियों का आकलन करने के बाद किसी की ओर से प्रोफार्मा जमा नहीं किया गया।