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चौपाल : जिसे समझा विशिष्ट, वो निकले निकृष्ट Gorakhpur News

गोरखपुर के साप्‍ताहिक कालम में इस बार पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्य प्रणाली पर फोकस करती रिपोर्ट दी गई है। पुलिस कर्मचारियों की दिनचर्या पर आधारित खबर आप भी पढ़ें गोरखपुर से जितेंद्र पांडेय का साप्‍ताहिक कालम चौपाल।

By Satish chand shuklaEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 01:56 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 01:56 PM (IST)
चौपाल : जिसे समझा विशिष्ट, वो निकले निकृष्ट Gorakhpur News
गोरखपुर के वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय का फाइल फोटो।

जितेन्‍द्र पांडेय, गोरखपुर। साहब के निर्देश पर महोदय ने वाट्सएप ग्रुप बनाकर क्षेत्र के विशिष्ट व्यक्तियों को उसमें जोड़ दिया। उद्देश्य था कि इस ग्रुप के माध्यम से क्षेत्र के लोगों से संवाद स्थापित करके अपराध पर अंकुश लगाया जाए। अच्छे कार्यों की जानकारी अधिक से अधिक लोगों को दी जाए। प्रत्येक सूचनाओं पर नजर रखी जाए, लेकिन यहीं महोदय से चूक हो गई। महोदय जिसे विशिष्ट समझ रहे थे, वह तो अत्यंत निकृष्ट निकले। उन्होंने वाट्सएप ग्रुप में ऐसा वीडियो डाल दिया कि महोदय से कुछ कहते ही नहीं बन रहा है। यहां तक कि ग्रुप के सभी व्यक्ति झेप जा रहे हैं। फिलहाल गनीमत इतनी रही कि वीडियो डालते ही कथित विशिष्ट व्यक्ति ग्रुप से लेफ्ट कर गए। महोदय ने जांच के नाम पर किसी तरह से मामले को रफा-दफा किया। बोले ऊपर से साफ सुथरा दिखने वाला व्यक्ति भीतर से कितना गंदा है, इसकी पहचान करना बहुत मुश्किल काम है।

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बाल की खाल उतारी

उत्तर की तरफ स्थित थाने पर पिछले दिनों एक व्यापारी को बदमाशों ने गोली मार दी। सूचना पाकर थोड़ी ही देर में मौके पर दूसरे क्षेत्र के दारोगा जी पहुंच गए। जांच चल ही रही थी कि वहां बड़े साहब पहुंच गए। साहब ने सारा गुस्सा दारोगा जी पर उतार दिया। तुम लोगों के यहां रहते घटना कैसे हुई? पहले तो बात उनकी सक्रियता पर उठी। बाद में पता चला कि क्षेत्र उनका नहीं है, तो साहब उनके बाल की खाल उतारने लगे। इतनी खरी-खरी सुनाई कि दारोगा जी ने दूसरे ही दिन बाल मुड़वा लिए। यहां तक कि दिन भर में कई बार बाल संवारने वाले दारोगा जी अब तो सुबह के समय भी बालों में कंघा नहीं लगा रहे हैं। दो दिन पहले ही सिपाही ने उनके बालों पर चर्चा की तो दारोगा जी ने सारा गुस्सा उस पर उतार दिया। कहने लगे, अब साहब की बराबरी करोगे।

मुर्दे बता रहे पता जिंदा खामोश

दो माह पहले एक महिला शिक्षक की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस हमलावरों की तलाश में जुटी। पखवारे भर के भीतर आरोपितों को दबोच लिया। भ_ा व्यापारी की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। आरोपित पकड़े गए, लेकिन यहां दो मामले पुलिस की प्रतिष्ठा पर सवाल खड़े कर रहे हैं। कस्बाई क्षेत्र में अलग-अलग जगहों पर दोनों को गोली मारी गई। इलाज के बाद दोनों पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं। दोनों ही घटनाओं को करीब दो माह से अधिक हो चुके हैं। बावजूद इसके पुलिस आरोपितों तक नहीं पहुंच सकी है। करीब 16 दिन पूर्व बदमाशों ने एक व्यापारी को दिनदहाड़े गोली मार दी। व्यापारी जब तक जीवित रहा, लोग यही कहते रहे कि यहां भी हमलावर का पता नहीं चलेगा, लेकिन तीन दिन पूर्व व्यापारी की लखनऊ में मौत हो गई। अब लोग फिर से चर्चा कर रहे हैं कि व्यापारी के हमलावर पकड़े जाएंगे।

भोलू, गोलू नहीं, सूरज से परेशान

चंदू चाचा को इस बार भोलू, गोलू से कोई शिकायत नहीं है। वह अब उतनी शरारत नहीं करते। चाचा तो 'सूरजÓ से परेशान हैं। उसकी वादाखिलाफी से शिकायत है। पहली से 10 तक 'सूरजÓ रोजाना सिर पर सवार रहा। नतीजा यह रहा कि उन्होंने अपने सारे गर्म कपड़े उतारकर आलमारी में रख दिए। चाचा अपने गर्म कपड़े आलमारी में रखकर निकले ही थे कि सूरज फिर गायब हो गया। चाचा को फिर से गर्म कपड़े निकालने पड़े। तीन दिन तक चाचा गर्म कपड़ों में रहे। यहां तक कि वह तो मकर संक्रांति पर भी अपनी जैकेट व कैप निकालने को राजी नहीं थे, लेकिन 'सूरजÓ ने उनकी एक नहीं चलने दी। चाचा के एक-एक करके सारे कपड़े उतरवा दिए और उन्हेंं स्नान को विवश कर दिया। स्नान के बाद चाचा ने मन बना लिया कि अब ऐसे ही रहेंगे। 'सूरजÓ छुट्टी पर है और इधर चाचा की हालत खराब है।


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