यायावर : नाराज साहब ने छोड़ा साउथ जीकेपी ग्रुप Gorakhpur news
पढ़ें गोरखपुर से कौशल त्रिपाठी का साप्ताहिक कालम यायावर...
कौशल त्रिपाठी, गोरखपुर। जिले में दक्षिण वाले साहब ने अपराध और थानेदारों की कार्यप्रणाली पर नजर रखने के लिए सितंबर 19 में साउथ जीकेपी नाम से वाट्सएप ग्रुप बनाया था। क्षेत्र के थानेदारों को निर्देश था कि ग्रुप पर प्रतिदिन क्या खोया क्या पाया का जिक्र करें। हालांकि साहब के निर्देशों को थानेदारों ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया और मनमानी करने लगे। अपराध तो दूर गुडवर्क भी बताने से कतराने लगे। इससे दक्षिण वाले साहब इस कदर नाराज हुए कि जून के अंतिम सप्ताह में नौ थानेदारों को ग्रुप से उड़ा दिया। इसके बाद भी साउथ वाले साहब का गुस्सा कम नहीं हुआ। उधर पुलिस विभाग से लेकर मीडिया जगत में साहब के इस कृत्य की चर्चा तेज हो गई, तो गुस्साए साउथ वाले साहब/ग्रुप एडमिन ने बीते 30 जुलाई को खुद को भी ग्रुप से अलग कर लिया। साहब के बाहर होते ही यह ग्रुप महत्वहीन व बेमतलब हो गया।
भाड़ा दोगुना और सवारी भी
कोरोना के बढ़ते संक्रमण पर विराम के लिए शासन हरसंभव प्रयास कर रहा है, लेकिन मनबढ़ों के अकारण घूमने, छह फिट की दूरी का पालन न करने से कोरोना चहुंओर तेजी से पांव पसार रहा है। इस कोढ़ में खाज बन गए हैं आटो/टैक्सी/जीप/मिनी बस वाले। जिले के सभी मार्गों पर यात्रियों को ढोने वाले प्राइवेट वाहन फर्राटा भर रहे हैं। वाहन चालकों ने शारीरिक दूरी का पालन करने के नाम पर भाड़ा दोगुना कर दिया है और सवारियां भी मानक से दोगुना ही बैठा रहे हैं। समय से 'इकजाई मिलने के कारण जिम्मेदार भी उन पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। यही वजह है कि भाड़ा दोगुना देने के बाद भी यात्रियों को सटकर बैठना पड़ता है, जिससे कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। जरूरत है सवारी गाडिय़ों में यात्रियों के बीच शारीरिक दूरी का पालन कराने की, लेकिन यह तब होगा जब जिम्मेदार घर/कार्यालय से निकलेंगे।
...तो तेजी से नहीं फैलती महामारी
अब तो हर गली, गांव व बाजार में वैश्विक महामारी टहल रही है साहब। संक्रमितों की संख्या में जबरदस्त उछाल है। इस पर तभी अंकुश लगेगा जब लोग घर से कम निकलेंगे और खुद को बचाने का प्रयास करेंगे। हालांकि फिलहाल इस पर लोगों का ध्यान उतना नहीं है, जितना पहले था। लोगों का कहना है कि पहले हॉट स्पॉट सील होने से सभी खुद की सुरक्षा के प्रति सतर्क हो जाते थे, लेकिन वर्तमान में केस बढऩे के बाद भी गली/गांव/वार्ड/मोहल्ले सील न होने से पता ही नहीं चल पा रहा है कि कहां हॉट स्पॉट है और उस तरफ नहीं जाना है। पुलिस का पहरा हटाने से संकट और बढ़ गया है। हर तरफ इस बात की चर्चा हो रही है कि आखिर हॉट स्पॉट पहले की तरह क्यों नहीं बनाए जा रहे हैं? यह पहले की तरह बनाए जाते, तो महामारी इतनी तेजी से पांव नहीं पसारती।
फिर काम आएगा बैकडोर फार्मूला
मुख्यमंत्री के निर्देश पर सोमवार से थानावार पाबंदी की व्यवस्था भले ही खत्म हो रही हो, लेकिन लॉकडाउन अवधि में दुकानों का बैकडोर फार्मूला दुकानदार ही नहीं ग्राहकों के लिए भी बेहद कारगर रहा। खासतौर पर मोहल्ले की उन दुकानों के लिए, जिनके क्रेता-विक्रेता आपस में परिचित थे। दुकानदार सुबह बंद शटर के बाहर खड़े हो जाते और अंदर कर्मचारी या बेटा मोर्चा संभाल लेता। आने वाले परिचितों से हाल-चाल पूछने के बाद सामान की लिस्ट शटर के नीचे से अंदर पहुंच जाती और इधर-उधर देखकर सामान बाहर निकल जाता। इस सिस्टम की खास शर्त दुकानदार और खरीदार का आपस में परिचित होना है। अब जब कंटेनमेंट जोन के हिसाब से इलाकों में पाबंदी लगनी है, तो ऐसे में एक बार फिर ग्राहक और दुकानदार बैकडोर फार्मूले से ही काम चलाने की तैयारी में हैं। देखना होगा कि पुलिस का पहरा इस फार्मूले पर ब्रेक लगा सकता है या नहीं।