तीसरी नजर : शिकायत करें, मगर कहां करें Gorakhpur News
पढ़ें गोरखपुर से नवनीत प्रकाश त्रिपाठी का साप्ताहिक कालम-तीसरी नजर...
नवनीत प्रकाश त्रिपाठी, गोरखपुर। जिला अस्पताल में मरीजों को किसी तरह के आर्थिक शोषण से बचाने के लिए प्रशासन ने शिकायत की व्यवस्था कर रखी है। जगह-जगह दीवार पर इस बाबत सूचना भी दर्ज की गई है। इसमें किसी कर्मचारी के पैसा मांगने पर शिकायत करने की बात लिखी गई है। साथ में मोबाइल फोन का नंबर भी दिया गया है। इसके बाद भी यदि आप शिकायत करना चाहें तो मुश्किल होगी। क्योंकि परिसर में लगे हर बोर्ड पर दर्ज नंबरों में से बीच के कुछ अंक गायब मिलेंगे। पहली नजर पड़ते ही कोई भी समझ जाएगा कि इन नंबरों को खुरच कर मिटाया गया है। ऐसा नहीं है कि इस पर जिम्मेदारों की नजर नहीं पड़ती, लेकिन नंबर दुरुस्त कराने की न तो किसी को जरूरत महसूस हुई और न ही किसी ने इसकी जहमत ही उठाई। हां, अस्पताल में पैसा मांगा जाता है कि नहीं, यह अलग से शोध का विषय है।
ताकि कम रहे अपराध का ग्राफ
थाना तो शहर के करीब है, लेकिन इसकी सीमा महराजगंज जिले से लगती है। बाइक सवार तीन बदमाशों ने इलाके में एक व्यक्ति से तमंचा लगाकर मोबाइल फोन और पांच सौ रुपये लूट लिए। पीडि़त फरियाद लेकर थाने पहुंचा। थानेदार ने उनकी बात सुन ली, लेकिन कार्रवाई की बात आने पर हीलाहवाली करने लगे। बाद में तहरीर भी ले ली, लेकिन मुकदमा दर्ज करने को तैयार नहीं हुए। कुछ प्रभावशाली लोगों ने मुकदमा दर्ज करने का दबाव बनाना शुरू किया, तो थानेदार ने पीडि़त को पकड़ लिया। मोबाइल फोन की कीमत पूछी और उससे बेहतर कंपनी का फोन खरीद कर उन्हें देने का प्रस्ताव रख दिया। पीडि़त ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया, तो थानेदार ने उनके परिचितों को पकड़ा और मुकदमा दर्ज करने की जिद छोडऩे के लिए मनाने की जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी। इस कवायद की वजह पूछने पर थानेदार ने जवाब दिया, ताकि अपराध का ग्राफ कम रहे।
रास नहीं आया प्रेमियों का मिलन
लॉकडाउन में परेशान तो हर कोई है, लेकिन प्रेम करने वालों की परेशानी कुछ अधिक है। मॉल, सिनेमा हॉल, पार्क और विद्यालय बंद होने की वजह से मिलने के लिए कोई जगह ही नहीं बची है। लॉकडाउन के पहले व दूसरे चरण में तो घर से निकलने की मनाही थी, लेकिन तीसरे चरण में इससे छूट मिलने पर प्रेम करने वाले भी घर से बाहर निकलने लगे। अब समस्या यह थी कि घड़ी, दो घड़ी कहां रुक कर दिल की बात करें? आखिरकार कुछ ने इसके लिए जगह तलाश ही ली। तरंग ओवरब्रिज के बीच में रेलिंग के बाद जाली से घेर कर पैदल यात्रियों के लिए बनाए गए फुटपाथ पर सुबह-शाम प्रेमी युगलों की जुटान होने लगी। धीरे-धीरे वहां चहल-पहल काफी बढ़ गई, लेकिन पुलिस को उनका मिलन रास नहीं आया। फुटपाथ पर प्रेमियों को मिलने से रोकने के लिए ओवरब्रिज पर पुलिस ने पिकेट लगाकर पहरा बिठा दिया।
काश, कोरोना ही हो जाता
शहर के सबसे अहम थाने के मुखिया हैं। जनता कफ्र्यू के दिन से ही लगातार ड्यूटी कर रहे हैं। सुबह ड्यूटी पर निकलते हैं, तो देर रात तक भागदौड़ जारी रहती है। नींद भी पूरी नहीं होती, तब तक दूसरे दिन की ड्यूटी शुरू हो जाती है। आराम के लिए छुट्टी का जुगाड़ लगाया, लेकिन अधिकारियों ने कोरोना में छुट्टी बंद होने की बात कहकर हाथ खड़े कर लिए। अब ड्यूटी पर हैं, तो पद के अनुसार जिम्मेदारी निभानी ही पड़ेगी। काम के दबाव से परेशान थानेदार अपनों के बीच खड़े होते हैं, तो उनका दर्द छलक पड़ता है। बातचीत में वह एक भी दिन की छुट्टी न मिलने से लेकर काम के दबाव की परेशानी बयां करने लगते हैं। अब तो उन्होंने लोगों से यह भी कहना शुरू कर दिया है कि काश कोरोना ही हो जाता। कम से कम 14 दिन तक क्वारंटाइन रहकर आराम तो कर लेता।