तीसरी नजर : डर से छूटी नशे की लत Gorakhpur News
पढ़ें गोरखपुर से नवनीत प्रकाश त्रिपाठी का साप्ताहिक कॉलम-तीसरी नजर...
नवनीत प्रकाश त्रिपाठी, गोरखपुर । डर का भी अपना अलग ही मनोविज्ञान होता है। हर किसी पर इसका असर भी अलग होता है। कोरोना वायरस के संक्रमण से हर कोई डरा हुआ है। लोग घरों से निकलने से बच रहे हैं। मजबूरी में यदि निकलना भी पड़ा रहा है तो संक्रमण से बचने का हर इंतजाम करने के बाद ही घर से बाहर आ रहे हैं। इस डर का सबसे गहरा असर नशे के शिकार हो चुके लोगों पर पड़ा है। लॉकडाउन की वजह से सब कुछ बंद है। लोगों की आवाजाही पर भी रोक लगी हुई है। शुरू में जरूरी सामान की खरीद के लिए मिलने वाली दो घंटे की छूट में नशे के आदती लोग अपना सामान खोज लेते थे, लेकिन यह छूट खत्म हो गई। पुलिस का रवैया काफी सख्त हो गया है। पुलिसिया कार्रवाई के डर से कई ने नशे की लत से तौबा कर ली है।
कोरोना ने बदला पुलिस का चेहरा
कोरोना महामारी ने पुलिस का चेहरा ही बदल कर रख दिया है। आम दिनों में पुलिस वालों की चर्चा चलने पर लोग उनसे जुड़े खराब अनुभव बताने लगते हैं, लेकिन कोरोना महामारी शुरू होने के साथ पुलिस वालों के बारे में लोगों के सोचने का तरीका बदल गया है। इसकी वजह लॉकडाउन में पुलिस वालों का मददगार बनकर खड़ा होना है। एक तरफ बेरोजगार हुए कामगारों और राहगीरों को हर थाने, चौकी पर पुलिस वाले खाना खिला रहे हैं तो दूसरी तरफ बीमार लोगों के फोन करने पर दवा भी पहुंचा रहे हैं। ऐसा एक-दो पुलिस वाले नहीं बल्कि सिपाही से लेकर उच्चाधिकारी तक कर रहे हैं। मुश्किल घड़ी में मददगार बनी पुलिस का यह चेहरा लोगों का अच्छा लग रहा है। पहली बार पुलिस वाले लोगों को अपने बीच के लग रहे हैं। इसीलिए लॉकडाउन तोडऩे वालों पर उनकी सख्ती का लोगों का समर्थन मिल रहा है।
क्या करें आदत से हैं मजबूर
लॉकडाउन में घर से निकलने की मनाही के बाद भी कुछ लोग बाज नहीं आ रहे। तब जबकि घर से निकलने पर कहीं पुलिस की लाठी खानी पड़ रही तो कहीं सरेआम सड़क पर मुर्गा बनना पड़ रहा है। अनावश्यक रूप से घर से बाहर निकलने के आरोप में अभी तक सौ से अधिक लोगों पर मुकदमा दर्ज हो चुका है। पांच सौ से अधिक वाहनों का चालान किया जा चुका है। बार-बार हिदायत दी जा रही है कि दूसरे के संपर्क में आने से संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं, लेकिन बिगड़ैलों को बात समझ में नहीं आ रही। घर से निकलकर अपनी जान को तो खतरे में डाल ही रहे हैं, दूसरों के जान के भी दुश्मन बन रहे हैं। पकड़े जाने पर दंडित भी हो रहे हैं, लेकिन घूमने की लत ऐसी है कि खुद को घर से निकलने से नहीं रोक पा रहे।
मास्क से पहचान का संकट
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए हर कोई मास्क लगाए रह रहा है। पुलिस वाले भी मास्क लगाकर ही ड्यूटी कर रहे हैं। करीब-करीब पूरे चेहरे को ढंकने वाले इस मास्क ने पहचान का संकट खड़ा कर दिया है। पुलिस वाले भी एक-दूसरे को ही नहीं पहचान पा रहे हैं। मातहतों की ड्यूटी चेक करने निकले थानेदार असमंजस में पड़ जा रहेे हैं कि चौराहे पर खड़ा पुलिसकर्मी उनके ही थाने का है या किसी और थाने का। पहचान करने के लिए हर किसी का नेमप्लेट देखना पड़ रहा है। कुछ एक मौकों पर पुलिस वालों को इसका लाभ भी मिल रहा है। मसलन, कोई परिचित भी यदि लॉकडाउन का उल्लंघन करते मिल जा रहा है तो मास्क के पीछे चेहरा छिपाकर उसके साथ भी सख्ती से पेश आने में संकोच नहीं कर रहे। पुलिस वाले आपसी बातचीत में इसको लेकर मजाक भी खूब कर रहे हैं।