शहरनामा : असली हम हैं, ऊ तो चेला था..
Dainik Jagran Gorakhpur Weekly column Shaharnama यहां पढ़ें दैनिक जागरण गोरखपुर का साप्ताहिक कालम शहरनामा। गोरखपुर शहर की हर वह खबर जो अभी तक पर्दे के पीछे हें पढ़ें एक अलग अंदाज में दैनिक जागरण के संवाददाता रजनीश त्रिपाठी के शब्दों में।
गोरखपुर, रजनीश त्रिपाठी। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अभियान ने फरारी काटने वाले कर्मचारियों के सामने नया संकट खड़ा कर दिया है। इन कर्मचारियों को फरियादी पहचान ही नहीं रहे। तहसील में पैमाइश के लिए चक्कर काट रहे युवा ने मौजूद लोगों से मुंशी के बारे में पूछा तो लोगों ने हल्का प्रभारी के पास भेज दिया। प्रभारी के पूछने पर बताया कि मुझे हल्का प्रभारी से ही मिलना है। प्रभारी बोले, बताइये मैं ही हूं, लेकिन फरियादी मानने को तैयार ही नहीं था। बोला दस बार मिल चुका हूं फलाने से। उन्हीं को रुपये भी दिया हूं काम कराने के लिए। मैं तो उन्हीं से बात करूंगा और वह नहीं मिले तो गदर भी मचा दूंगा। मजाक बनाकर रखा है। रोज-रोज हल्का प्रभारी बदलते हैं क्या? बुलवाइए उनको वरना तैयार रहिये, जनता दर्शन के लिए। वहीं बात होगी आपसे ओर आपके साहब से। पैसा कोई लेगा-काम कोई करेगा बड़बड़ाते हुए युवक बाहर चला गया।
काम की बात घर पर होगी
कहावत है, दशा दस साल, चालाना चालीस साल और आदत जिंदगी भर, यानी एक बार जो आदत में आ गया है, वह जाने से रहा। कुछ ऐसा ही हाल उन मुलाजिमों का है, जिनके विभाग में पिछले दिनों भ्रष्टाचार की सर्जरी स्टिंग आपरेशन से हुई है। आपरेशन तो हो गया लेकिन बीमारी ने खुद को बचाने के लिए बाईपास का रास्ता निकाल लिया। काम की जो बात पहले कार्यालय के गलियारे या चाय की दुकान पर हो जाती थी उसके लिए अब घर बुलाया जा रहा है। हालांकि ऐसा करने से पहले शिकार को पूरी तरह ठोक बजाकर चेक कर लिया जा रहा है। कुछ साहब ने इसकी जिम्मेदारी मैडम को सौंपी तो उन्होंने यह काम नौकर या ड्राइवर के जिम्मे कर दिया। साहब अब किसी से भी बात नहीं करते, ड्राइवर मैडम से बताएगा वहां से बात साहब तक पहुंचेंगी। न वीडियो का खतरा न ही आडियो रिकार्डिंग का।
हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम को
शासन से जारी होने वाली तबादला सूची पर सर्वाधिक नजर यदि किसी की है तो वह गोरखपुर के सरकारी गुरुजनों व कर्मचारियों की। राजधानी से सूची जारी होते ही मोबाइल पर डाउनलोड और वायरल होने की रफ्तार इतनी तेज होती है कि सर्वर भी हांफ जाए। वजह बड़े साहब के तबादले पर अटकी सबकी नजर है। लेटलतीफ कर्मचारियों-शिक्षकों पर कार्रवाई से लेकर स्टिंग आपरेशन के जरिये भ्रष्टाचारियों पर नकेल के अभियान ने रात की नींद-दिन का चैन छीन लिया है। बीते दिनों जारी एक आदेश के बाद तो वाट्सएप ग्रुपों पर बधाई संदेशों का तांता लग गया कि बड़े साहब चले गए। हर कोई राहत की सांस ले रहा था तभी तबादला सूचना के गलत होने का संदेश वायरल हुआ। इस संदेश से मानो सभी को सांप सूंघ गया। कुछ देर चुप्पी के बाद सभी एक-दूसरे को दिलासा देने में जुट गए कि हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम को।
सर...ये जुगाड़ भइया कहां मिलेंगे
स्टिंग आपरेशन के डर से सरकारी महकमों में अघोषित फरमान जारी हो गया है कि शर्ट में मोबाइल या पेन रखने वालों से सतर्क रहें। हर बात या काम जुगाड़ के जरिये ही पटल तक पहुंचे। अब जुगाड़ को तलाशना फरियादियों के लिए नई चुनौती है। संपत्ति का मालिकाना हक निर्धारित करने वाले विभाग में जुगाड़ भइया को ढूंढती मिली महिला ने बताया कि जिसके पास जाओ सभी जुगाड़ भइया से मिलने को बोलते हैं। जुगाड़ भइया हैं कि एक जगह मिलते ही नहीं। कर्मचारी ने कहा कि जुगाड़ भइया के एक जगह जमे रहने से ही तो पूरा बखेड़ा हुआ है। जुगाड़ भइया अब मोबाइल हो गए हैं। जो कार्यालय के बाहर चुपचाप बेवजह खड़ा नजर आए और हर आने-जाने वाले पर नजर रखे, समझ जाइये वही जुगाड़ भइया हैं, उन्हीं के पास सारे ताले की चाबी है। महिला चल पड़ी कार्यालय गेट पर जुगाड़ भइया की तलाश में।