परिसर से : ताला तोड़ देंगे, नहीं डरते हम Gorakhpur News
पढ़ें गोरखपुर से प्रभात कुमार पाठ का साप्ताहिक कॉलम परिसर से---
प्रभात कुमार पाठक, गोरखपुर। इन दिनों शिक्षा के सबसे बड़े मंदिर के एक विभाग में अलग-अलग कमरे के लिए मारामारी मची है। विभाग के छोटे गुरुजी की नौकरी नई है, लेकिन उन्हें पुराने शिक्षकों की तरह ही सुविधाएं चाहिए। इसके लिए कई बार उनकी वरिष्ठों से अनबन हो चुकी है। छोटे गुरुजी की हालत यह है कि वह विभाग के मुखिया तक के बारे में कुछ भी बोलने व लिखने से नहीं हिचकते। कहते हैं कि मैं किसी को कुछ नहीं समझता। एक दिन वह फिर से अलग कमरे की मांग करने लगे। जब विभाग के अन्य लोगों ने समझाया कि बड़े साहब से अनुमति मिलने पर जल्द कमरा मिल जाएगा, तो छोटे गुरुजी पूरे रौ में आ गए और एक कमरे का ताला तोडऩे की धमकी देते हुए कहने लगे कि हम किसी से नहीं डरते। जैसे ही विभाग के मुखिया ने उन्हें कार्रवाई की चेतावनी दी, बेचारे गुरुजी बैकफुट पर आ गए।
कब प्रगट होंगे गायब गुरुजी
कोरोना संक्रमण को लेकर लॉकडाउन लगा, तो कुछ लोग अपने घर निकल गए, कुछ यहीं सरकारी आवास में परिवार सहित रहने लगे। इसी बीच शासन के निर्देश पर बड़े साहब ने शिक्षकों को कार्यालय आने का फरमान जारी किया। कुछ तो आदेश की जानकारी मिलते ही घर से लौट आए। कुछ लोग विलंब से लौटे, लेकिन एक विभाग के गुरुजी ऐसे हैं, जो लॉकडाउन शुरू होने के दौरान से ही गायब हैं और वह कब प्रकट होंगे, रहस्य बना हुआ है। वे कहां हैं, किसी को पता नहीं है। कहा जा रहा है कि उन्हें कई लोगों का संरक्षण प्राप्त है, जिसका वह सीधा फायदा उठाते हैं। प्रमाण पत्रों के सत्यापन के दौरान भी गुरुजी नहीं आए, तो दबी जुबान से सभी कहने लगे हैं कि इनके लिए तो जैसे कायदे-कानून का कोई मतलब ही नहीं है। चार माह से गुरुजी का गायब रहना चर्चा का विषय बना हुआ है!
नियम का पालन तो करना पड़ेगा
किसी भी संस्था में समय के साथ-साथ अधिकारी व मुखिया बदल जाते हैं, लेकिन नियम-कानून वही रहते हैं। शिक्षा के सबसे बड़े मंदिर में में जुलाई में कई विभागों के मुखिया बदल गए। इनके बदलते ही एक बार फिर नियम-कानून का पालन कराने की बात उठने लगी। कुछ विभागों के गुरुजी लॉकडाउन के बहाने गायब थे। यह सोचकर कि किसी दिन विभाग में पहुंचकर उपस्थिति पंजिका उठाएंगे और दस्तखत बना देंगे। उन्हें क्या मालूम था कि उनका यह दांव उल्टा पड़ जाएगा। नए मुखिया के आते ही विभागों में नियम और सख्त हो गए। परेशान गुरुजन सीएल, ईएल और मेडिकल लेकर गायब रहने का औचित्य साबित करने में जुटे हैं। इधर बड़े साहब पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि अवकाश लेना है, तो पहले आवेदन करना पड़ेगा। अब पहले अवकाश का उपभोग कर अवकाश लेने का तरीका नहीं चलेगा। विभागाध्यक्षों की सख्ती से गुरुजी की मुसीबत बढ़ गई है।
हम वो नहीं जो आप समझ रहे
शासन के निर्देश पर विश्वविद्यालय में भी चार-पांच दिन तक शिक्षकोंं के प्रमाण पत्रों का सत्यापन हुआ। विभागवार अलग-अलग दिन सत्यापन प्रक्रिया पूर्ण की गयी। कई लोग जहां सत्यापन से खुश थे, वहीं कई दहशत में थे। सभी ने समय से जरूरी कागजात के साथ जांच समिति के अधिकारियों के समक्ष उपस्थित होकर प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराया। इसी दौरान एक अधिकारी जांच करते हुए विभाग में पहुंचे। वहां कुछ लोग पहले से मौजूद थे। जांच अधिकारी ने पूछा, यहां वह लोग कौन हैं। तभी वहां मौजूद एक गुरुजी तपाक से बोले पड़े, हम वह नहीं, जो आप समझ रहे हैं। हम तो दो साल पहले ही सीधी भर्ती से आए हैं। गुरुजी को अंदर से दहशत में देख अधिकारी पर उनकी बात का कोई असर नहीं हुआ। और तो और उनकी यह बात सुन वहां बैठे सभी मुस्कुराने लगे। इन दिनों गुरुजी की बात परिसर में चर्चा में है।